UCL New Format: फुटबॉल का सबसे मशहूर क्लब टूर्नामेंट UEFA चैंपियंस लीग अब एक नए अवतार में नजर आएगा. टूर्नामेंट के फॉर्मेट में बदलाव किया गया है. इस नए फॉर्मेट को 'स्विस मॉडल' कहा जा रहा है. पहले 32 टीमें चैंपियंस लीग में खेलती थीं. अब 36 टीमों को मौका दिया जाएगा. टूर्नामेंट को ज्यादा रोमांचक बनाने के लिए कुछ अहम बदलाव किए गए हैं. हाल ही में यूरोप में सुपर लीग को शुरुआत करने की बात हुई है. इससे चैंपियंस लीग को खतरा है. इसी को देखते हुए यूरोप के सबसे बड़े क्लब टूर्नामेंट में कुछ चीजों को बदला गया है.


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मैचों की संख्या बढ़ेगी


नए फॉर्मेट के तहत चैंपियंस लीग के ग्रुप राउंड में 36 टीमें भाग लेंगी. इससे यूरोप के ज्यादातर देशों के क्लब को फायदा होगा. टूर्नामेंट अधिक प्रतिस्पर्धी और आकर्षक होगा. इसमें भाग लेने वाली टीमों को आठ मैच खेलने की गारंटी मिली है. चार मैच होम ग्राउंड और चार मैच अवे ग्राउंड (विपक्षी के ग्राउंड) पर होंगे.


UEFA प्रेसिडेंट ने क्या कहा?


UEFA प्रेसिडेंट अलेक्जेंडर सेफरिन ने कहा, ''UEFAने स्पष्ट रूप से दिखाया है कि हम खेल के मूलभूत मूल्यों का सम्मान करने और खेल योग्यता के आधार पर खुली प्रतियोगिताओं के प्रमुख सिद्धांत की रक्षा करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं. यह मूल्यों और एकजुटता आधारित यूरोपीय खेल मॉडल के अनुरूप है. मैं वास्तव में खुश हूं कि एग्जीक्यूटिव कमेटी ने एकमत से यह फैसला लिया. यह इस बात का सबूत है कि यूरोपीय फुटबॉल पहले से कहीं अधिक एकजुट है.''


कैसा है नया फॉर्मेट?


UEFA ने एक वीडियो जारी किया है जिसमें नए फॉर्मेट के बारे में वह सब कुछ शामिल है. इससे फैंस को सबकुछ समझने में आसानी होगी. पहले आठ ग्रुप में चार-चार टीमों को रखा जाता है. टीमें राउंड रॉबिन फॉर्मेट में कुल छह मैच खेलती थीं. अब ऐसा नहीं होगा. टीमें दो बार विपक्षी का सामने नहीं करेगी. इसकी जगह आठ अलग-अलग टीमों के बीच मुकाबला होगा. इससे मैच ज्यादा रोमांचक होंगे.



नॉकआउट में कैसे पहुचेंगी टीमें?


पॉइंट्स टेबल में टॉप 8 में रहने वाली टीमें सीधे प्री-क्वार्टर फाइनल में पहुंच जाएंगी. नौवें और 24वें स्थान के बीच रहने वाली टीमों के बीच प्री-क्वार्टर फाइनल में जाने के लिए दो-लेग में मुकाबला होगा. प्लेऑफ में एक टीम अपने विपक्षी के खिलाफ दो मैच खेलेगी. इसके बाद कुल आठ टीमें अंतिम-16 में पहुंच जाएंगी. बता दें कि नॉकआउट में कोई भी टीम अपने देश की दूसरी टीम के खिलाफ खेल सकती है. स्विस मॉडल के जरिये अधिक से अधिक मैचों का आयोजन किया जा सकता है. इससे कड़े मुकाबले होंगे और UEFA को ज्यादा इनकम होगी.