Smita Patil Films: आर्ट की दुनिया में यह जरूरी नहीं कोई ढेर सारा ही काम ही किसी को स्थापित करे. एक काम ही किसी व्यक्ति के मरने के बाद भी उसकी ख्याति को बनाए रखता है. हिंदी के समानांतर सिनेमा के दौर में आई फिल्म चक्र (1981) को लोग भूले नहीं हैं. स्मिता पाटील, नसीरूद्दीन शाह (Naseeruddin Shah) और कुलभूषण खरबंदा (Kulbhushan Kharbanda) स्टारर इस फिल्म को डायरेक्ट किया था रवींद्र धर्मराज ने. धर्मराज की यह पहली और एकमात्र फीचर फिल्म थी. दिल्ली, कान और लोकार्नो के अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोहों में सराही गई इस फिल्म की रिलीज से पहले ही धर्मराज की मात्र 33 साल की उम्र में मृत्यु हो गई. लेकिन इस फिल्म ने लोगों का दिल जीत लिया और हमेशा के लिए सिने-इतिहास में दर्ज हो गई.


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जिंदगी का चक्र
धर्मराज तमिलनाडु के शिवाकाशी से थे. उन्होंने युनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया से एडवांस फिल्म एंड वीडियो टेकनीक्स की पढ़ाई की थी. वह कुछ समय युद्धग्रस्त वियतनाम में रहे और उसके बाद भारत लौटे. दिल्ली में राष्ट्रीय रेडियो पर थोड़े समय न्यूज रीडर का काम करने के बाद वह मुंबई आए. यहां मन नहीं लगा तो अपने घर लौट गए. वहां कुछ समय तक चर्च से जुड़े रहे और एक बार फिर मुंबई आए. इस बार वह इस महानगर में एक सफल विज्ञापन फिल्म मेकर बने. मुंबई की झुग्गी झोपड़ियों में लोगों जिंदगी पर उन्होंने फिल्म बनाई, चक्र.


कहानी अम्मा की
चक्र, अम्मा (स्मिता पाटील) की कहानी है. वह अपने बेटे बेनवा के साथ झुग्गी में रहती है. गांव में जब एक रसूखदार इंसान ने अम्मा की इज्जत लूटने की कोशिश की तो पति ने उस व्यक्ति की हत्या कर दी. बाद में वह भी मारा गया. मुंबई की झुग्गियों में अम्मा के दो प्रेमी हैं, बदमाश लूका और ट्रक ड्राइवर अन्ना. मुंबई में मजदूरी करके गुजारा करने वाली अम्मा चाहती है कि उसका बेटा अच्छी जिंदगी जीए. मगर वह लूका की संगत में रहता है. अम्मा ट्रक ड्राइवर से प्रेग्नेंट हो जाती है और बेनवा एक लड़की से शादी कर लेता है. तभी लूका एक केमिस्ट की हत्या करके अम्मा की झोपड़ी में छुपता और पुलिस उसे पकड़ लेती है. यहां से अम्मा और बेनवा की जिंदगी में तूफान आता है.


पुरस्कार और विवाद
लोकार्नो फिल्म फेस्टविल में चक्र (Film Chakra) को बेस्ट फिल्म (Best Film) का पुरस्कार मिला था. भारत में इसे फिल्मफेयर (Filmfare) के तीन अवार्ड मिले. बेस्ट एक्टर नसीरूद्दीन शाह, बेस्ट एक्ट्रेस स्मिता पाटिल और बेस्ट आर्ट डायरेक्शन बंसी चंद्रगुप्त. जबकि बेस्ट फिल्म, बेस्ट डायरेक्टर और बेस्ट स्टोरी के लिए भी इसे नामांकित किया गया था. स्मिता पाटील को इस फिल्म के लिए बेस्ट एक्ट्रेस का नेशनल अवार्ड (National Award) भी मिला. परंतु यह सब देखने के लिए रवींद्र धर्मराज दुनिया में नहीं थे. रोचक तथ्य यह है आगे चल कर जाने भी दो यारो जैसी फिल्म बनाने वाले कुंदन शाह (Director Kundan Shah) इस फिल्म में चीफ असिस्टेंट डायरेक्टर थे. झुग्गी के सार्वजनिक नल पर स्मिता पाटील के नहाने का दृश्य काफी चर्चित और विवादित हुआ था. उस समय के हिसाब से वह काफी साहसिक सीन था. यह फिल्म आप यूट्यूब (Youtube) पर देख सकते हैं.