केवल कारतूस नहीं ब्रिटिश हुकुमत के इन फैसलों के कारण जागा भारतीयों में विद्रोह, जानिए पहली आजादी की लड़ाई के प्रमुख कारण
Independence Day 2023: मंगल पांडे के नेतृत्व में हुए सैनिक विद्रोह ने अंग्रेजों की जड़ें हिला दी. इस संग्राम में हिंदू-मुस्लिम एकजुट होकर मैदान में कूद पड़े, लेकिन इसके अलावा और भी कई कारण थे, जिससे भारतीयों में आक्रोश जागा था...
First War Of Independence: आज पूरे देश में जश्न का माहौल है. हम आज अपना 77वां स्वतंत्रता दिवस (77th Independence Day) और आजादी की 76वीं वर्षगांठ मना रहे हैं. इसी दिन 1947 में देश को अंग्रेजी हुकुमत की बेड़ियों से मुक्ति मिली थी. देशवासी इस खास दिन को बहुत ही खुशी के साथ सेलिब्रेट करते हैं,और इस दिन हम अपने देश के लिए मर मिटने वाले क्रांतिकारियों और वीर शहीदों को याद करना नहीं भूलते. इसी कड़ी में आज बात करेंगे आजादी की पहली लड़ाई की...
देश के इतिहास का सबसे महत्वपूर्ण और पहला आजादी का संग्राम है 1857 में हुआ विद्रोह. ब्रिटिश फौज में भर्ती भारतीय सिपाहियों की समस्या 1857 के सैनिक विद्रोह की मुख्य वजह मानी जाती है, लेकिन इस विद्रोह के पीछे और भी कई कारण थे, जिनके बारे में हमें पता होना बहुत जरूरी है. आइए जानते हैं वे कौन से कारण थे, जिनके कारण चिंगारी भड़की थी और पहले स्वतंत्रता संग्राम का आगाज हुआ था...
एनफील्ड राइफल
सबसे महत्वपूर्ण कारणों में से एक है नई एनफील्ड राइफल को फौज में शामिल करना. दरअसल, इसे लोड करने के लिए सिपाहियों को कारतूसों के सिरों को मुंह से काटना पड़ता था. कहते हैं कि इन कारतूसों में सूअरों और गायों की चर्बी का इस्तेमाल किया जाता था.
राजस्व की मांग
रैयतवाड़ी और महलवारी व्यवस्था में रेवन्यू की मांग ज्यादा थी. इतना ही नहीं राजस्व बेहद क्रूरता से वसूला जाता था. 1852 में 'इनाम आयोग' की स्थापना हुई, जिसने जागीरों के अधिग्रहण की सिफारिश की, जिस पर रेवन्यू नहीं दिया गया था. परिणामस्वरूप 20 हजार जागीरों को जब्त किया गया.
अर्थव्यवस्था
अंग्रेज धीरे-धीरे भारतीय उद्योग-धंधों में सेंध लगाकर उन्हें बर्बाद करने लगे. इंग्लैंड की औद्योगिक क्रांति के कारण भारतीय कच्चे माल को नुकसान होने लगा. भारत का विदेशों से होने वाला व्यापार धीरे-धीरे खत्म किया जाने लगा, जिससे भारत कच्चे माल का निर्यात करने तक सीमित रह गया.
भारतीय सैनिकों के साथ भेदभाव
ब्रिटिश फौज में भारतीय सैनिकों के साथ भेदभाव किया जाता था. ब्रिटिश सैनिकों की अपेक्षा उन्हें कम वेतन मिलता. इतना ही नहीं उनका बहुत शोषण होने लगा था. भारतीय सिपाहियों के सीने में जलती आग को चिंगारी तब मिली जब उन्हें अपने माथे पर जाति के निशान लगाने से रोका गया. इतना ही नहीं अंग्रेजों ने भारतीय सैनिकों के दाढ़ी रखने और पगड़ी पहनने पर भी पाबंदी लगा दी थी.
ईसाई मिशनरी
ईसाई मिशनरियों द्वारा तेजी लोगों का धर्म परिवर्तन करने का प्रयास किया गया और ईसाई धर्म के बारे में बताने के लिए सेना में पादरियों की नियुक्तियां की गई.
महत्वपूर्ण पदों से हटाया
अंग्रेजों ने भारतीयों को अपने ही देश में महत्वपूर्ण और उच्च पदों से वंचित कर दिया था. इतना ही नहीं भारतीय नागरिकों के लिए साइनबोर्ड पर 'कुत्तों और भारतीयों को प्रवेश की अनुमति नहीं है' जैसे अपमानित वाक्य लिखे जाने लगे.
हड़प नीति
राज्य हड़प नीति के कारण भारतीय राजाओ में बहुत असंतोष पैदा हुआ. सतारा, नागपुर, झांसी, संभलपुर, करौली, उदयपुर आदि रियासतों पर डॉक्ट्रिन ऑफ लैप्स के तहत कब्जा कर लिया गया. नागपुर में शाही सामान की खुली नीलामी हुई, जिसने भारतीयों में आक्रोश जगा दिया.