आपदा में भी मिलेगी मदद, टेलीकॉम टावर और ऑप्टिकल फाइबर की जियो-टैगिंग करेगी सरकार
Telecom Infrastructure Geotagging: सरकार टेलीकॉम इन्फ्रास्ट्रक्चर की जियो-टैगिंग करने पर विचार कर रही है. ये इसलिए किया जा रहा है ताकि आपदा या किसी मुसीबत के वक्त इनका बेहतर इस्तेमाल किया जा सके.आइए आपको इस प्रोजेक्ट के बारे में विस्तार से बताते हैं.
Government Geotagging Telecom Infrastructure: सरकार देशभर में मोबाइल टावरों और ऑप्टिकल फाइबर की तारों का पता लगाने वाली है. आसान भाषा में कहें तो सरकार जल्द ही मोबाइल टावर और ऑप्टिकल फाइबर की जियो-टैगिंग करने का प्लान कर रही है. इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक सरकार टेलीकॉम इन्फ्रास्ट्रक्चर की जियो-टैगिंग करने पर विचार कर रही है. ये इसलिए किया जा रहा है ताकि आपदा या किसी मुसीबत के वक्त इनका बेहतर इस्तेमाल किया जा सके.आइए आपको इस प्रोजेक्ट के बारे में विस्तार से बताते हैं.
कब तक पूरा होगा यह प्रोजेक्ट
टेलीकॉम इन्फ्रास्ट्रक्चर की जियो-टैगिंग करने के इस प्रोजेक्ट को साल 2027 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. इसमें दूरसंचार विभाग (DoT), दूसरी सरकारी संस्थाएं और राज्य सरकारें मिलकर काम करेंगी.
विकास कार्यों के लिए भी किया जा सकेगा इस्तेमाल
इस जानकारी का इस्तेमाल सिर्फ आपदा के समय ही नहीं बल्कि देशभर में विकास कार्यों के लिए भी किया जा सकेगा. टेलीकॉम का बुनियाद नई टेक्नॉलजी जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, वर्चुअल रियलिटी और मशीन लर्निंग के लिए भी जरूरी है. इस जानकारी को इकट्ठा करने में सुरक्षा का भी ध्यान रखा जाएगा.
डेटा सिक्योरिटी
सरकार डेटा सिक्योरिटी के महत्व को समझती है इसलिए गलत इस्तेमाल को रोकने के लिए सुरक्षा उपाय भी किए जाएंगे. माना जा रहा है कि इस प्रोजेक्ट की शुरुआत सरकारी कंपनी BSNL से होगी. इसके बाद प्राइवेट कंपनियों की बारी आएगी. मोबाइल टावरों की जानकारी पहले से ही सरलसंचार पोर्टल पर मौजूद है, लेकिन प्राइवेट कंपनियों को अपने ऑप्टिकल फाइबर का डेटा शेयर करने में थोड़ी दिक्कत हो सकती है.
विकसित भारत की दिशा में एक कदम
सरकार 2047 तक भारत को विकसित बनाने के लक्ष्य में मजबूत टेलीकॉम नेटवर्क को बहुत जरूरी मानती है. ये पहल आपसी तालमेल को बेहतर बनाएगी और भविष्य में टेलीकॉम के इस्तेमाल को और आसान बनाएगी. यह पहल को विकसित भारत की दिशा में एक कदम माना जा रहा है.