भारत में अब एप्पल आईफोन बनाने का काम तेजी से बढ़ रहा है और जल्द ही चीन के बराबर हो जाएगा. लेकिन भारत एप्पल की कुल कमाई में बहुत कम योगदान देता है. इसका मुख्य कारण यह है कि भारत में ज्यादातर लोग महंगे आईफोन नहीं खरीद सकते हैं. साल 2024 में, भारत में बने एप्पल आईफोन की संख्या कुल आईफोन प्रोडक्शन का 14 से 15 प्रतिशत थी. विशेषज्ञों का मानना है कि 2027 तक यह संख्या बढ़कर 26 से 30 प्रतिशत हो जाएगी. अभी के समय में, भारत चीन के अलावा एप्पल आईफोन बनाने वाला एकमात्र देश है. ग्रेटर चाइना में चीन, हांगकांग, मकाऊ और ताइवान शामिल हैं.


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5 साल में होगी चीन से बराबरी


अगले पांच सालों में भारत में जितने आईफोन बनेंगे उतने चीन में बनेंगे. लेकिन भारत, एप्पल की कुल कमाई में चीन जितना योगदान दे रहा है, उतना योगदान देने में दस से पंद्रह साल लगा सकता है. साल 2024 में, एप्पल ने भारत से 8 अरब डॉलर कमाए, जो कि उसकी कुल कमाई का सिर्फ 2% से थोड़ा ज्यादा है. इसके उलट, चीन ने 66.95 अरब डॉलर कमाए, जो कि कुल कमाई का 17% से ज्यादा है. अनुमान है कि साल 2026 तक एप्पल भारत से 11 अरब डॉलर कमा लेगा. एप्पल का साल अक्टूबर से सितंबर तक होता है.


साल 2024 में, एप्पल ने भारत से 8 अरब डॉलर कमाए, जो कि उसकी कुल 391 अरब डॉलर की कमाई का सिर्फ 2% से थोड़ा ज्यादा है. इसके उलट, चीन ने 66.95 अरब डॉलर कमाए, जो कि कुल कमाई का 17% से ज्यादा है. अनुमान है कि साल 2026 तक एप्पल भारत से 11 अरब डॉलर कमा लेगा. एप्पल का साल अक्टूबर से सितंबर तक होता है. 


इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स की मानें तो साल 2020 में, एप्पल ने भारत में अपने उत्पाद बनाने का फैसला इसलिए लिया क्योंकि अमेरिका और चीन के बीच तनाव बढ़ रहा था. एप्पल चाहता था कि उसके उत्पाद अलग-अलग जगहों पर बनें, ताकि किसी एक देश पर निर्भर न रहना पड़े. साथ ही, एप्पल भारत को एक ऐसा देश बनाना चाहता था जहां से वह दूसरे देशों में अपने उत्पाद भेज सके. 


एप्पल पहली बड़ी कंपनी है जिसने भारत को अपने उत्पादों को दूसरे देशों में भेजने के लिए चुना है. सरकार की स्मार्टफोन PLI योजना की निगरानी करने वाले एक अधिकारी ने कहा, 'अभी 70% आईफोन दूसरे देशों में भेजे जाते हैं और जल्द ही यह संख्या बढ़कर 80-85% हो जाएगी, क्योंकि भारत में आईफोन बनाने की क्षमता बढ़ रही है.'