Keyboard Layout: आपने देखा होगा कि लैपटॉप और कंप्यूटर के कीबोर्ड में QWERTY फॉर्मेट फॉलो किया जाता है. इस फॉर्मेट में बटने एक सीक्वेंस में सेट नहीं होती, बल्कि आगे-पीधे होती हैं. यह कोई नया फॉर्मेट नहीं है बल्कि सालों-साल से कीबोर्ड के लिए यही तरीका अपनाया जाता है. ऐसे में यह सवाल उठना लाजमी है कि कीबोर्ड की बटनों को अल्फाबेटिकल ऑर्डर में सेट क्यों नहीं किया जाता? अगर आप भी यह जानना चाहते हैं तो परेशान मत होइए. यहां आपको पूरी जानकारी मिलेगी. आइए आपको बताते हैं कि कीबोर्ड के इस डिजाइन के पीछे क्या राज है. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

क्यों चुना गया कीबोर्ड के लिए QWERTY फॉर्मेट


टाइपिंग स्पीड बढ़ाने के लिए - शुरुआत में कीबोर्ड की बटनें अंग्रेजी वर्णमाला के क्रम में ही थीं. लेकिन, जब टाइपराइटर का आविष्कार हुआ, तो पाया गया कि अगर सभी अक्षर एक क्रम में होंगे तो टाइपिंग करते समय बार-बार उंगलियां एक ही जगह पर जाएंगी और टाइपिंग स्पीड कम हो जाएगी. इसलिए, बटनें इस तरह से व्यवस्थित की गईं कि उंगलियां लगातार हिलती रहें और टाइपिंग की स्पीड बढ़ जाए.


जाम होने से बचना - पहले के टाइपराइटर में अगर लगातार एक ही अक्षर टाइप किया जाता था तो मशीन जाम हो जाती थी. इसलिए बटनें इस तरह से व्यवस्थित की गईं कि लगातार एक ही अक्षर टाइप करने की संभावना कम हो जाए. साथ ही ऐसा करने से मशीन को जाम होने से बचाया जा सके. 


यह भी पढ़ें - iPhone 16 लॉन्च के बाद iPhone SE 4 पर बड़ा अपडेट, जानें कब मार्केट में एंट्री कर सकता है ये स्मार्टफोन


QWERTY लेआउट - आजकल हम जो कीबोर्ड इस्तेमाल करते हैं, उसमें QWERTY लेआउट होता है. यह लेआउट क्रिस्टोफर लेथम शोल्स ने 1870 में बनाया था. जब इस फॉर्मेट का अविष्कार हुआ तो पाया गया कि इस फॉर्मेट में टाइपिंग करना ज्यादा आसान था. इसमें बटनों के अटकने की संभावना कम थी और टाइपिंग भी जल्दी होती थी. इसलिए बाद में इसी फॉर्मेट को अपना लिया गया. 


यह भी पढ़ें - जल्द ही iPhones पर पूरी तरह काम करेगा Truecaller का ये फीचर, होने जा रहा ये बड़ा बदलाव