देश में बढ़ती हुई SMS धोखाधड़ी को रोकने के लिए, दूरसंचार विभाग (DoT) ने दो टेलीमार्केटिंग कंपनियों, V-कॉन इंटेलिजेंट सिक्योरिटी और OneXtel मीडिया का कामकाज बंद कर दिया है. इस चीज का खुलासा इकॉनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट में किया गया है. विभाग ने 15 जुलाई के अपने आदेश में कहा कि इन दोनों कंपनियों ने अपने प्लेटफॉर्म का दुरुपयोग कर फर्जी और धोखाधड़ी वाले SMS भेजे.


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ठगी करने वाले SMS भेजने के लिए इन कंपनियों ने टेलीकॉम विभाग के नियमों को तोड़ा है, इसीलिए विभाग ने सख्त आदेश दिया है. आदेश में लिखा है कि, 'देश के लोगों को साइबर अपराध और धोखाधड़ी से बचाने के लिए, सभी टेलीकॉम कंपनियों को तुरंत इन दो कंपनियों को बंद करने का निर्देश दिया जाता है... और उनके खिलाफ फर्जी और धोखाधड़ी वाले SMS भेजने के लिए DLT प्लेटफॉर्म का गलत इस्तेमाल करने की पुलिस शिकायत दर्ज कराई जाए.'


DoT का दावा- जनवरी से भेजे जा रहे थे मैसेज


V-con और OneXtel Media कंपनियों को जनवरी 2024 से अब तक स्मार्टफोन यूजर्स को 5 करोड़ 55 लाख से ज्यादा फर्जी SMS भेजने का दोषी पाया गया है. टेलीकॉम विभाग को लोगों की शिकायतों वाली वेबसाइट चाक्षुष पोर्टल पर कई शिकायतें मिली थीं, जिसके बाद विभाग ने इन कंपनियों पर कार्रवाई की.


जांच से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक, ईटी की रिपोर्ट में बताया गया है कि दूरसंचार विभाग (DoT) ने 131 मुख्य संस्थाओं (PEs), 5,000 एसएमएस सामग्री टेम्पलेट्स और 700 एसएमएस हेडर को ब्लैकलिस्ट करने का आदेश दिया है.  लेकिन, धोखाधड़ी करने वाले लोगों ने ब्लॉकचेन आधारित एसएमएस फिल्टरिंग सिस्टम को धोखा देने के लिए नए हेडर बना लिए. ईटी की रिपोर्ट में ये भी बताया गया कि इन दो कंपनियों में से एक - वी-कॉन और ओनेक्सटेल को - उन बैंक खातों से पैसे मिले थे जिन्हें संगठित अंतरराष्ट्रीय अपराधों की कई शिकायतों में शामिल पाया गया था, जिनमें अवैध शेयर बाजार निवेश धोखाधड़ी भी शामिल है.


क्या कहना है कंपनी का?


रिपोर्ट के अनुसार, ओनेक्सटेल कंपनी सरकार के इस फैसले का विरोध कर रही है. उनका कहना है कि उन्हें अपना पक्ष रखने का मौका नहीं दिया गया. ओनेक्सटेल मीडिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, अब्रार चनावलला का कहना है कि 'हमें दूरसंचार विभाग के आदेश की जानकारी है, लेकिन हम इस बात से हैरान हैं कि सरकार ने नौ सालों से काम कर रहे एक प्रतिष्ठित टेलीमार्केटर कंपनी पर बिना कोई मौका दिए ये आरोप लगाए. गौरतलल्ब है कि विभाग ने हमें किसी भी कार्रवाई से पहले ना तो सूचित किया और ना ही कोई कारण बताओ नोटिस दिया.'


ईटी की रिपोर्ट के मुताबिक, ओनेक्सटेल का कहना है कि सरकारी आदेश में दिया गया 55.5 करोड़ का आंकड़ा संभवतः 6 महीने का है और यह दो कंपनियों का है. मान लेते हैं कि इनमें से 1.7 करोड़ संदेश ओनेक्सटेल के जरिए भेजे गए थे. अब्रार चनावलला ने आगे कहा, 'यह हमारे कुल ट्रैफिक का केवल 0.06% है. क्या इतने कम प्रतिशत के लिए किसी कंपनी को अचानक बंद करना ठीक है? नियमों के अनुसार, डीएलटी प्रणाली को चलाना दूरसंचार कंपनियों की जिम्मेदारी है. क्या उनकी और उनके डीएलटी तकनीकी साझेदारों की भी कोई गलती नहीं है?'.