बड़ी कंपनियां जैसे Apple और Google, डिजिटल दुनिया पर हावी होने के कारण आलोचनाओं का शिकार हैं. अब इन आलोचकों की लिस्ट में शार्क टैंक इंडिया के जज अनुपम मित्तल भी शामिल हो गए हैं. उन्होंने इन टेक्नोलॉजी दिग्गजों की तुलना ईस्ट इंडिया कंपनी से की है, जिसका कोलोनियल पीरियड में बहुत बड़ा दबदबा था. उसी तरह ये कंपनियां भी डिजिटल दुनिया में अपना वर्चस्व कायम कर रही हैं. हालांकि ईस्ट इंडिया कंपनी का नाम भारत में गुलामगीरी से जुड़ा है, जिसकी वजह से इसकी छवि बेहद खराब है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

बड़ी टेक कंपनियों को बताया नया ईस्ट इंडिया कंपनी


बिजनेस इंसाइडर को दिए इंटरव्यू में, मित्तल ने बड़ी टेक कंपनियों को ''नया ईस्ट इंडिया कंपनी'' कहा और उनके हवाबाज रवैये और मनमानी के खिलाफ दंड लगाने की मांग की. उनका कहना था कि ये कंपनियां ताकत का गलत इस्तेमाल कर रही हैं. अपनी बात समझाने के लिए मित्तल ने उदाहरण दिए. उन्होंने कहा कि, 'स्टार्टअप्स पहले से ही इन प्लेटफॉर्मों पर विज्ञापन के लिए अपनी कमाई का 10-50% खर्च कर देते हैं. असल में, ऐप स्टोर बिना कंटेंट के कुछ भी नहीं है... ऐसी स्थिति में स्टार्टअप के पास उनके बेईमानी भरे तरीकों को मानने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता... अब वे कहते हैं कि स्टोर के जरिए डाउनलोड किए गए ऐप्स पर हुए हर लेन-देन पर 15-30% टैक्स/कमीशन लगेगा. इसका मतलब ये है कि वे स्टार्टअप की कमाई का 50% चाहते हैं...' मतलब स्टार्टअप्स के लिए मुश्किल और बढ़ जाएगी.


मित्तल का मानना है कि बड़ी टेक कंपनियों को कायदे-कानून मानने के लिए मजबूर करना दुनिया भर की सरकारों के लिए मुश्किल है, भारत भी इससे अछूता नहीं है. उन्होंने कहा कि भारत में सरकार और नियम बनाने वालों का इरादा तो सही है, लेकिन इन कंपनियों को कानून का पालन कराने के लिए कोई ऐसा तरीका चाहिए जो आसानी से लागू हो सके.


उन्होंने इंटरव्यू में कहा, 'जो लोग कानून का गलत इस्तेमाल करते हैं या उसका मजाक उड़ाते हैं, उनके लिए सजा होनी चाहिए. अदालत के आदेश न मानना अपमान माना जाता है, इसलिए सख्त कार्रवाई हो सकती है. इन ताकतवर कंपनियों पर भी ऐसा ही सख्त जुर्माना लगाना चाहिए, बस थोड़ी रकम का जुर्माना उनके लिए कोई मायने नहीं रखता. उन्हें सबक सिखाने के लिए बड़ा दंड देना जरूरी है.'