Bharti Singh Latest Interview: कॉमेडियन भारती सिंह आज स्टेज पर आ जाएं तो बस फिर पेट पकड़कर हंसने को लोग मजबूर हो जाते हैं. उनके एक-एक पंच लोगों के गाल दुखा देते हैं. वो जितना हंसाती हैं उतना ही खुद भी हंसती हैं लेकिन एक दौर वो भी था जब हंसी भारती सिंह के लिए बहुत महंगी थी. एक मुस्कान के लिए ना जाने क्या-क्या करना पड़ता था. वो दौर था भारती के बचपन का जो बेहद मुफलिसी से गुजरा. भारती सिंह कई बार अपने बचपन के बारे में बात कर चुकी है लेकिन इस बार उनकी आंखें वो दौर याद करते हुए नम हो गईं.


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दूसरे को घर काम करती थीं मां
जब भारती 2 साल की थीं तभी उनके पिता का निधन हो गया था. बच्चे छोटे थे तो उनकी परवरिश भारती की मां को संभालनी थी. बड़े भाई बहनों का स्कूल फीस ना भर पाने के चलते छूट गया और नतीजा उन्हें पेट भरने के लिए कम उम्र में ही फैक्ट्री में ही काम करने लगे. मां माता रानी के दुपट्टे सिलतीं तो भाई-बहन रात-रात भर कंबल बनाते. जो पैसे मिलते उससे घर का खर्च बमुश्किल ही चलता. उस वक्त आलम ये था कि दिन में भारती की मां को दूसरो के घर काम तक करना पड़ा और लोगों का बासी खाना खाकर दिन गुजारने पड़े. उस वक्त दूसरों का आधा खाकर फेंका सेब देखकर भारती का मन उसे खाने को करता था. दिवाली पर दूसरों के घर पटाखे जलते और उसे देखकर ही भारती को संतुष्ट होना पड़ता. 



सुदेश लहरी ने की मदद
भारती में पहले से ही कॉमेडी का हुनर खा. जब बड़ी हुईं तो ये हुनर खुद ब खुद बाहर आने लगा वो जमघट लगाकर लोगों को खूब हंसाती. एक बार सुदेश लहरी वहां से गुजरे तो उनकी नजर भारती पर पड़ी और भारती के टीचर से उनकी तारीफ की जिसके बाद भारती को नेशनल यूथ फेस्टिवल में जाने का मौका मिला जहां वो गोल्ड मेडल जीत कर लौटीं. इसके बाद भारती की मुलाकात कपिल शर्मा से हुई जिन्होंने ही भारती को कॉमेडी शो में जाने की सलाह दी थी और इस सलाह ने भारती की जिंदगी को बदल डाला.  


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