Ambaji Temple, Gujrat: गुजरात का अंबाजी मंदिर बड़ा पर्यटन स्थल है. अंबाजी का का ये मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है. ये पावन जगह गुजरात की राजधानी अहमदाबाद से 185 किलोमीटर दूर है. मां अंबे के इस मंदिर से कुछ दिलचस्प बातें जुड़ी हुई हैं, जो श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र हैं. 


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बिना मूर्ति का मंदिर


मंदिरों का चलन मूर्ति पूजा की वजह से ही शुरू हुआ, लेकिन अंबाजी का ये मंदिर ऐसा है जहां कोई मूर्ति नहीं है.  ये बड़ा ही अद्भुत है, कि इस मंदिर में माता की किसी छवि के बजाय 'वीसा यंत्र' की पूजा की जाती है. माना जाता है कि ये मंदिर उस समय का है जब मूर्ति की शुरूआत भी नहीं हुई थी. मंदिर में वीसा यंत्र के ऊपरी हिस्से को देवी की तरह सजाया जाता है और मूर्ति की तरह पूजा की जाती है. 


आंखें ढंककर होती है पूजा


यहां की पूजा अलग तरीके से की जाती है.अंबाजी मंदिर का यंत्र आंखों से नहीं देख सकते हैं, इसलिए यहां आंखों पर पट्टी बांध कर पूजन करते हैं. 


बहुत प्राचीन है मंदिर


माता का ये मंदिर बहुत प्राचीन है. माना जाता है कि माता सती के शरीर के शरीर के अंग धरती पर 51 जगह गिरे थे, जहां 51 शक्तिपीठ स्थापित हैं. मान्यता है कि अंबाजी मंदिर में माता का हृदय है. इस जगह पर मंदिर का निर्माण 1200 साल से भी पहले किया गया था.


मानसरोवर कुंड


अंबाजी मंदिर के पास में मानसरोवर कुंड है. इस कुंड को बेहद पवित्र माना जाता है, यहां स्नान करने का अलग ही महत्व है.  मानसरोवर में डुबकी लगाने के बाद माता के दर्शन का फल मिलता है. 


भव्य है मंदिर


गुजरात का ये मंदिर बहुत भव्य है, इसकी गुंबद की ऊंचाई 300 फीट है. मंदिर का आर्किटेक्चर भी बहुत खास है, ये मंदिर सफेद संगमरमर की सुंदर कारीगरी से बना है. 


इन दिनों अलग होती है रौनक


वैसे तो अंबाजी मंदिर में हर रोज श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है, लेकिन नवरात्रि में यहां का नजारा और भी ज्यादा खास हो जाता है. नवरात्रि के पावन अवसर के दौरान अंबाजी मंदिर में गरबा खेला जाता है. इन दिनों और भी कई आध्यात्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. दीपावली और कुछ खास त्योहारों पर भी इस मंदिर को खास तरीके से सजाया जाता है. 


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