Bijli Mahadev Mandir: आपने बिजली से तबाही की बात कई बार सुनी  होगी. बिजली से हुई क्षति की भरपाई कर पाना मुश्किल है. भारत में एक जगह ऐसी है जहां बिजली गिरने की भरपाई स्वयं ही हो जाती है. ये चमत्कारिक जगह बिजली महादेव के नाम से प्रसिद्ध है. बिजली महादेव पर हर 12 साल में बिजली गिरती है, जिसकी वजह से शिवलिंग टूट जाता है. अद्भुत बात ये है कि शिवलिंग अपने आप जुड़ भी जाता है. 


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कहां है बिजली महादेव


बिजली महादेव का मंदिर कुल्लू शहर से लगभग 18 किलोमीटर की दूरी पर मथान नामक स्थान पर है. बर्फीली पहाड़ियों के बीच ये पवित्र मंदिर पार्वती और व्यास नदी के संगम के पास बना है. मंदिर कुल्लू पहाड़ के ऊपर है. 


कैसे जुड़ता है शिवलिंग


बिजली गिरने के बाद शिवलिंग टूट जाता है. लोगों की मान्यता है कि बिजली गिरने से महादेव को चोट पहुंचती है इसलिए बिजली के गिरने के बाद मंदिर के पुजारी शिवलिंग को मक्खन लगाते हैं. माना जाता है कि ये मक्खन महादेव के लिए मरहम का काम करता है. कुछ दिनों के बाद शिवलिंग जुड़ जाता है और वापस पहले जैसा हो जाता है. इस मंदिर को मक्खन महादेव भी कहा जाता है. 


क्या है मान्यता


पौराणिक मान्यताओं के अनुसार देव इंद्र हर 12 साल में भगवान शिव की अनुमति लेकर शिवलिंग पर बिजली गिराते हैं. इस जगह के बारे में मान्यता है कि ये मंदिर कुलांत नामक दैत्य के शरीर पर बना हुआ है. कहा जाता है कि मंदिर वाले स्थान पर कुलांत नाम का दैत्य रहा करता था. जीवों के दुश्मन कुलांत ने एक बार व्यास नदी का पानी रोक दिया, जिससे जीवों का जीवन संकट में आ गया. इसे देखकर भगवान शिव क्रोधित हो गए और अपने त्रिशूल से कुलांंत पर प्रहार कर दिया. त्रिशूल के वार से दैत्य वहीं मूर्छित होकर गिर पड़ा और उसकी मृत्यु हो गई. माना जाता है कि कुलांत दैत्य का विशाल शरीर पहाड़ में तब्दील हो गया. इस पहाड़ का नाम कुलान्त दैत्य के नाम पर कुल्लू पड़ा.