Surya Temple: छठ के दिन सूर्य देव की पूजा का बड़ा महत्व है. देश में कई ऐसे मंदिर हैं जहां सूर्य देव की पूजा की जाती है. सूर्य पूर्व दिशा से ऊगता है यही वजह है कि सूर्य मंदिर के दरवाजे का मुख भी सूर्य दिशा की ओर होता है. ये मंदिर बड़ा खास है, लोगों की इस मंदिर में बड़ी आस्था है. सूर्य मंदिर पर भक्तों का तांता लगा रहता है. मान्यता है कि छठ के दिन इस मंदिर के दर्शन करने से सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. छठ के दिन यहां मेला लगता है. आइए जानते हैं कि ये मंदिर कहां है और उल्टी दिशा में मंदिर का द्वार होने के पीछे क्या वजह है. 


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कहां है सूर्य मंदिर 


भारत में कदम-कदम पर मंदिर हैं. ये मंदिर हमारी आस्था और संस्कृति का प्रतीक हैं. सूर्य देव का रहस्यमयी मंदिर बिहार के औरंगाबाद में है. औरंगाबाद के इस सूर्य मंदिर में छठ के दिन भक्तों का तांता लगा रहता है. 


डेढ़ लाख साल पुराना है सूर्य मंदिर


ये मंदिर लगभग डेढ़ लाख साल पुराना है. मान्यता है कि इस मंदिर का निर्माण भगवान विश्वकर्मा ने किया था. मंदिर को त्रेता युग में बनाया गया था. कहा जाता है कि ये मंदिर एक रात में बनकर तैयार हुआ था. मंदिर पर लगे शिलालेख भी इसकी प्राचीनता का प्रमाण देते हैं. ये मंदिर चमत्कारी है. 


मंदिर की वास्तुकला


ये मंदिर सौ फुट ऊंचा है, इसकी वास्तुकला देखने लायक है. इसके अंदर सूर्यदेव की सात मुखी मूर्ति है. ये मूर्ति उदयाचल, मध्‍यांचल और अस्ताचल तीनों रूपों में है. इसीलिए इस मंदिर की खास मान्यता है. इसीलिए छठ के दिन इस मंदिर में पूजा और दर्शन का खास महत्व है. 


कैसे पश्चिम में हुआ दरवाजा


माना जाता है कि इस मंदिर का दरवाजा पहले पूर्व दिशा में ही हुआ करता था. जब औरंगजेब ने मंदिरों को तोड़ने का अभियान चलाया तो लोगों ने इसे ना तोड़ने की प्रार्थना की. औरंगजेब ने अहंकार में कहा कि अगर इस मंदिर में वाकई में भगवान हैं, तो इसका द्वार पश्चिम में हो जाए. इसके बाद भक्तों ने सूर्यदेव से प्रार्थना की और रातोंरात मंदिर के दरवाजे की दिशा बदल गई. 


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