Reverse Waterfall, Maharashtra: आपने झरने को गिरते हुए देखा होगा. वॉटरफॉल का मतलब ही यही होता है, ऊंचाई से पानी का गिरना. लेकिन एक जगह ऐसी भी है जो वॉटरफॉल के मतलब को ही पलट देती है. यहां पानी नीचे की बजाय ऊपर की ओर गिरता है. ये बात सुनकर आपको अपने कानों पर विश्वास नहीं हो रहा होगा, आप सोच रहे होंगे कि आखिर ये कैसे होता है तो जानते हैं इसके पीछे की वजह.


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कहां है रिवर्स वॉटरफॉल?


आपको बता दें कि उल्टे झरने का नाम है रिवर्स वॉटरफॉल (Riverse Waterfall). ये महाराष्ट्र के नानाघाट में है, इसलिए इसे नानाघाट या नानू घाट झरना भी कहते हैं. ये वॉटरफॉल कोंकण समुद्र तट और जुन्नर नगर के बीच में है. नाना घाट में झरने के अलावा कई और टूरिस्ट प्लेस हैं, जहां घूम सकते हैं. यहां कुछ गुफाएं हैं जहां ब्राह्मी और संस्कृत में लिखावट है. माना जाता है कि नाना घाट की स्थापना आंध्र सातवाहन वंश ने की थी. नाना घाट का रिवर्स वॉटरफॉल पुणे से तकरीबन 120 किलोमीटर दूर है. 


झरना उल्टा बहने का कारण?


आपने अक्सर सुना होगा कि ये तो कुदरत का नियम है इसे कोई नहीं पलट सकता, लेकिन कुछ जगह कुदरत खुद ही अपने नियमों से उलट चलती है. ऐसा ही है रिवर्स वॉटरफॉल जो प्रकृति के नियम से उल्टा है. यहां पानी नीचे नहीं गिरता है बल्कि ऊपर की ओर जाता है, ऐसा होना पूरी तरह से असाधारण है. विज्ञान के मुताबिक धरती पर कोई भी चीज नीचे गिरने की वजह गुरुत्वाकर्षण बल है, लेकिन नानेघाट का ये झरना गुरूत्वाकर्षण बल के अपोजिट है. नाने घाट झरने का नीचे के बजाय ऊपर के पहाड़ की ओर जाने का कारण यहां चलने वाली तेज हवा है. हवा तेजी से नीचे से ऊपर की ओर चलती है जिसकी वजह से झरना उल्टा बहता हुआ दिखाई देता है.


ट्रेकिंग का लें मजा


नानेघाट जंगलों और पहाड़ों से घिरा हुआ है, मानसून के मौसम में ये जगह और भी ज्यादा खूबसूरत हो जाती है. आप आराम से ट्रेकिंग (Trekking) का मजा लेते हुए नानेघाट पहुंच सकते हैं और रिवर्स वॉटरफॉल देखने के साथ ही इस शानदार एडवेंचर का मजा ले सकते हैं. रिवर्स वॉटरफॉल तक पहुंचने के लिए 4-5 किलोमीटर की ट्रेकिंग करना होता है, हालांकि यहां पहुंचने के लिए और भी साधन हैं लेकिन ट्रेकिंग करते हुए जाने का मजा अलग ही है. 


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