Exclusive: आम बजट को `खास` बनाने के लिए ये है PM का एक्शन प्लान, `मोदी ब्रिगेड` को लगाया काम पर
आगामी आम बजट को खास बनाने का जिम्मा पीएम ने अपने आर्थिक सलाहकारों को सौंपा है. उन्होंने ने अपने आर्थिक सलाहकार परिषद को जनता के बीच जाकर उन्हें बजट के सकारात्मक पहलुओं के बारे में समझाने को कहा है.
रीमा पाराशर, नई दिल्ली. आम बजट के दिन करीब हैं. एक तरफ जनता को बजट से काफी उम्मीदें हैं तो दूसरी तरफ केंद्र पर इन उम्मीदों पर खरा उतरने का दबाव. ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बजट के लिए खास एक्शन प्लान तैयार किया है. मौजूदा केंद्र सरकार फरवरी में अपना अंतिम पूर्ण बजट पेश करेगी और इसे खास बनाने का जिम्मा पीएम ने अपने आर्थिक सलाहकारों को सौंपा है. उन्होंने अपने आर्थिक सलाहकार परिषद को जनता के बीच जाकर बजट के सकारात्मक पहलुओं के बारे में समझाने को कहा है. गौरतलब है कि ऐसा पहली बार होगा जब आर्थिक सलाहकार परिषद खुद जनता के बीच जाकर उन्हें बजट के सकारात्मक पहलुओं से अवगत कराएगी.
प्रधानमंत्री मोदी का बजट प्लान
पीएम पहले ही साफ कर चुके हैं कि सरकार की प्राथमिकता में कृषि विकास और युवाओं को रोजगार पहले से ही है. लेकिन जिस अंदाज में विपक्षी दल जनता को दिग्भ्रमित करने की कोशिश कर रही है, उस भ्रम को तोड़ने की आवश्यकता है. जनता को ये बताने की जरूरत है कि सरकार ने उनके फायदे के लिए क्या-क्या किया है. सरकारी योजनाओं और नीतियों को व्यापक तौर आम लोगों तक ले जाने की जरूरत है. पीएम ने इस सिलसिले में कुछ अलह फैसले भी किए हैं. उदाहरण के तौर पर बजट पेश किए जाने के बाद वित्त मंत्री और वित्त विभाग के बड़े अधिकारी प्रेस कॉन्फ्रेंस में सवालों के जवाब देते थे. लेकिन इस दफा नजारा कुछ और रहेगा.
बजट पेश होने के बाद आर्थिक सलाहकार परिषद के सभी सदस्य एक साथ दूरदर्शन पर लोगों से मुखातिब होंगे और बजट के हर पहलू को विस्तार से बताएंगे. पीएम मोदी की आर्थिक सलाहकार परिषद के सभी सदस्य पहली बार आम लोगों की बजट की बारिकियों, भ्रांतियों को दूर करने की कोशिश करेंगे.
PM मोदी खुद करेंगे चर्चा
1 फरवरी को बजट पेश होने के बाद आर्थिक सलाहकार परिषद के सभी सदस्य एक साथ दूरदर्शन पर लोगों से मुखातिब होंगे. वे बजट के हर पहलू को विस्तार से बताएंगे. आपको बता दें कि इससे पहले सिर्फ वित्तमंत्री और वरिष्ठ अधिकारी ही बजट के बाद मीडिया से मुखातिब होते रहे हैं. ऐसा पहली बार होगा जब प्रधानमंत्री के आदेश पर सलाहकार परिषद सामने आकर बजट के हर पहलू पर चर्चा करेगी. कहा जा रहा है कि पीएम ने महंगाई को लेकर विपक्ष के लगातार हो रहे हमलों के चलते ये फैसला लिया है.
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इन क्षेत्रों पर सरकार का विशेष ध्यान
मौजूदा केंद्र सरकार फरवरी में अपना अंतिम पूर्ण बजट पेश करेगी. 2019 के लोकसभा चुनाव पर इसका बड़ा असर देखने को मिल सकता है. इसलिए आगामी बजट में कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के साथ-साथ रोजगार पर विशेष जोर रहेगा. प्रधानमंत्री का कहना है कि इन मुद्दों पर जनता के बीच फैले भ्रम को तोड़ना जरूरी है. उन्होंने कहा कि हम जनता के बीच जाकर उन्हें बताएंगे कि सरकार उनके लिए क्या सौगात लेकर आई है.
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क्या है कारण
गौर करने वाली बात ये है कि गुजरात चुनाव में गैर-शहरी क्षेत्रों में बीजेपी को करारा झटका लगा था. इससे सरकार को लेकर किसानों की नाराजगी का संकेत मिला है. ऐसे में आगामी बजट में कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर अधिक जोर दिए जाने की संभावना जताई जा रही है. कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने Zee नेटवर्क को बताया कि सरकार पिछले कुछ समय से किसानों की आमदनी बढ़ाने के उपाय भी तलाश रही है. वह किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य दिलवाएगी. आमदनी बढ़ाने के लिए डेयरी सेक्टर, मधुमक्खी पालन, कोल्ड चेन और फूड प्रोसेसिंग पर भी जोर दिया जाएगा.
अहम है पीएम की आर्थिक सलाहकार परिषद
नीति आयोग के सदस्य डॉ. विवेक देवराय की अध्यक्षता वाली आर्थिक परिषद प्रधानमंत्री को विभिन्न आर्थिक मामलों में सलाह देने के लिए बनायी गई थी. परिषद का काम प्रधानमंत्री द्वारा सौंपे गए आर्थिक या अन्य संबंधित मुद्दों पर विश्लेषण करना और उन्हें परामर्श देना है. इसके अलावा वृह्द आर्थिक महत्व के मुद्दों का समाधान और उसके बारे में अपने विचार से प्रधानमंत्री को अवगत कराना होता है. परिषद इसके साथ ही प्रधानमंत्री द्वारा समय-समय पर दिए गए अन्य कार्यों को भी देखेगी. परिषद में देवराय के अलावा अंशकालिक सदस्य के रूप में डॉ. सुरजीत भल्ला, डॉ. रथिन रॉय और डॉ. आशिमा गोयल हैं. इसके अलावा नीति आयोग के सदस्य सचिव रतन वाटल परिषद के प्रधान सलाहकार हैं.
कब किया गया आर्थिक परिषद का गठन
आर्थिक परिषद का गठन ऐसे समय किया गया था जब वित्त वर्ष 2017-18 की पहली तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर घटकर 5.7 प्रतिशत पर आ गई थी और वो तीन साल के न्यूनतम स्तर थी. इससे पहले भी लगातार छह तिमाहियों में आर्थिक वृद्धि दर में पहले के मुकाबले गिरावट रही है. इसके अलावा औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर भी जुलाई 2017 में घटकर 1.2 प्रतिशत पर आ गई थी जो जून में 5.4 प्रतिशत पर थी.