Education Budget 2023: भारत महामारी के बाद के युग में एंटर कर रहा है, लगभग तीन साल के व्यवधान के बाद, एजुकेशन सेक्टर नई उम्मीदों की ओर देख रहा है. जहां निरंतर अपस्किलिंग और बढ़ता डिजिटलीकरण दिन रोज बढ़ रहा है. सभी की निगाहें एजुकेशन सेक्टर के लिए बजट आवंटन पर होंगी, एक साल बाद जब इसने पहली बार 1 लाख करोड़ का आंकड़ा पार किया है.


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नेशनल एजुकेशन पॉलिसी, 2020 की सिफारिशों के मुताबिक आदर्श रूप से शिक्षा बजट जीडीपी का 6 फीसदी होना चाहिए. हालांकि, यह आंकड़ा कभी नहीं पहुंचा है. सरकार एजुकेशन सेक्टर पर फोकस करती है, इसे "भारतीयों की अगली जेनरेशन में निवेश" के रूप में देखते हुए.


वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को लिखे एक पत्र में कहा गया था कि, "महामारी के दौरान शिक्षा की आर्थिक रूप से उपेक्षा की गई है. 2020-21 में एजुकेशन को कैटेगरी सी में रखा गया था, जो अलग अलग सेक्टर में सबसे कम प्राथमिकता थी." स्कूली शिक्षा, विशेष रूप से, कोविड-19 महामारी के बीच डिजिटल शिक्षा के आने के कारण प्रभावित हुई है. अजीम प्रेमजी फाउंडेशन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 60 फीसदी स्कूली बच्चे संसाधनों की कमी के कारण ऑनलाइन शिक्षा प्राप्त नहीं कर पाते हैं.


ऑनलाइन सीखने पर फोकस करने से समाज में गहरे सामाजिक-आर्थिक और सांस्कृतिक विभाजन को और बढ़ावा मिलेगा, लेकिन सरकार को डिजिटलीकरण पर पूरी तरह से जोर देने से पहले बुनियादी ढांचे और सार्वजनिक शिक्षा का एक मजबूत सिस्टम बनना होगा.


मोदी सरकार विशेष रूप से शिक्षा के क्षेत्र में डिजिटलीकरण की समर्थक रही है. पिछले केंद्रीय बजट में एक डिजिटल यूनिवर्सिटी, बहुभाषी ई-कंटेंट और पीएम ई-विद्या योजना की घोषणा की गई थी. भारत का एडटेक सेक्टर आगामी बजट में सरकार से और सपोर्ट की उम्मीद कर रहा है; उनकी मुख्य उम्मीद ऑनलाइन एजुकेशन पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में बड़ी कमी करना है. वर्तमान में, एडटेक सर्विस पर 18 फीसदी जीएसटी लगता है, जिसे घटाकर 12 प्रतिशत कराना चाहता है.


स्किल डिवेलपमेंट मोदी सरकार के कई फोकस फील्ड में से एक है. भारत के पास कामकाजी उम्र की सबसे कम उम्र की लेबर फोर्स है और इसे बढ़ाकर 2030 तक भारत की अर्थव्यवस्था को 570 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक बढ़ाया जा सकता है.


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