Udaipur Kanhaiya Lal murder: राजस्थान में चुनावी सरगर्मी के बीच उदयपुर में एक बार फिर से कन्हैयाला टेलर हत्याकांड की जोर शोर से चर्चा हो रही है. ज़ी न्यूज की टीम ने उदयपुर जिले की कवरेज करने के दौरान कन्हैया के परिजनों से मुलाकात की. उनके परिवार ने क्या कुछ कहा वो बताने से पहले आपको बता दें कि हिंदुत्ववादी संगठनों के लोग इस मुद्दे पर खुलकर बात कर रहे हैं. करीब डेढ़ साल पहले दिनदहाड़े उदयपुर में एक हत्या हुई थी. जिसके साथ ही उदयपुर नेशनल और इंटरनेशनल मीडिया की सुर्खियों में आ गया था. यहां रहने वाले कन्हैयालाल टेलर की कुछ लोगों ने उनकी दुकान पर आकर गला रेत कर नृशंस हत्या इसलिए कर दी थी. ऐसा इसलिए हुआ था क्योंकि उन्होंने बीजेपी की पूर्व नेता नुपुर शर्मा के सपोर्ट में सोशल मीडिया पर एक पोस्ट डाली थी. कन्हैया की हत्या के आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है लेकिन अभी भी उन्हें सजा नहीं हो पाई है, ये मामला अभी कोर्ट में ही है.


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दोषियों को सजा मिलने तक बेटों ने लिया ये संकल्प


कन्हैयालाल के परिवार से मिलने हर पार्टी का नेता आया और वादा करके गया की इस मामले की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में की जाएगी और जल्दी से जल्दी उन्हे इंसाफ दिया जायेगा. लेकिन आज तक ये मामला कानूनी पेचीदगियों में ही फंसा हुआ है. हालत ये है कि कन्हैयालाल के दोनों बेटों को पुलिस सुरक्षा मिली हुई है. बड़ा बेटा यश बताता है कि उसने प्रतिज्ञा ली है की जब तक उनके परिवार को इंसाफ नहीं मिल जाता है, कन्हैयालाल की अस्थियों को नदी में प्रवाहित नही किया जायेगा. इसके साथ ही यश ने इंसाफ ना मिलने तक केश ना कटाने और पैरो में चप्पल ना पहनने का भी संकल्प लिया है.


परिवार को बस इंसाफ की आस


जी न्यूज से बात करते हुए इनके परिवार ने बताया कि किस तरह से कन्हैयालाल के जाने के बाद अब ये परिवार किसी पर भी विश्वास नहीं कर पाता है. परिवार कहता है की अब चुनावी मौसम है, उन्हे पता है कि हर पार्टी उनका दरवाजा खटखटायेगी, लेकिन वो हर नेता से सिर्फ इंसाफ की ही गुहार लगाएंगे.


उदयपुर में समस्याओं का अंबार


उदयपुर को झीलों, बावडियो का शहर के नाम से जाना जाता है लेकिन बरसों पुराने पानी के ये स्त्रोत अब अपना अस्तित्व खोज रहे हैं. ज़ी न्यूज़ की टीम जब पुराने उदयपुर शहर के अंबाजी मंदिर की बावड़ी के पास पहुंची, तो वो अब कचरे का भंडार जैसी नजर आई. इसमें गंदे पानी की बदबू इतनी ज्यादा आती है की इसके पास खड़े होना भी मुश्किल है. यहां के दयाशंकर पालीवाल बीते 35 साल से पुराने जल स्त्रोतों के बचाव में लगे हैं. वो इसकी हालत देख कर बेहद दुखी हैं. बीते पांच सालों में किसी भी पार्टी या नेता ने इस ओर ध्यान नहीं दिया है. इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह है की जो सीवरेज लाइन बिछाई गई है उसमे लीकेज है, जो कोई भी सरकार या पार्टी ठीक नही करवा सकी है. इसी सीवेज का गंदा पानी बावडियों में बहकर आ चुका है. इसकी वजह से ही कुओं, हैंडपंपों में भी गंदा और दूषित पानी आता है.


इन बावड़ियो की आज भी जरूरत है क्योंकि जब पानी की कमी होती है तो यही बावड़ियां काम आती है. पिछले 25 सालो से इनकी सफाई के लिए एक बोर्ड का गठन किया गया है लेकिन इसकी ओर सुध लेना वाला कोई नहीं है.


इसी उदयपुर शहर में एक ओर सबसे बड़ी मुश्किल है ट्रैफिक जाम की. शहर की ट्रैफिक व्यवस्था पुराने ढर्रे पर ही चल रही है. एक फ्लाईओवर जो रेलवे स्टेशन रोड से कलेक्टर ऑफिस तक बनना था, जिससे सुरजपोल जैसे इलाकों के ट्रैफिक को कम करने में मदद मिल सकती है, लेकिन उसे आज तक नही बनाया गया है. इन मुद्दों के अलावा  कन्हैयालाल की हत्या का मुद्दा भी यहां की सुर्खियों में बना हुआ है.