Madhya Pradesh Election result: मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सारी मेहनत धरी की धरी रह गई. कांग्रेस का भाजपा को सत्ता से हटाने का सपना अधूरा रह गया. 2018 के चुनाव की बात करें तो कांग्रेस की झोली में 114 सीटें आई थीं. कांग्रेस ने सरकार भी बनाई थी. लेकिन भाजपा ने तब भी और अब भी कांग्रेस को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखा दिया. सियासी रणनीति में कहां क्या कमी रह गई, इसका आकलन कांग्रेस जरूर कर रही होगी. लेकिन कहीं न कहीं कमलनाथ को भी अपने किये का मलाल जरूर होगा. मलाल इसलिए कि दिग्विजय ने जिस शख्स को हल्के में लिया था उसने कांग्रेस के लिए तेलंगाना में जीत का रास्ते खोल दिए. आइये आपको कमलनाथ के उस फैसले के बारे में बताते हैं जो मध्यप्रदेश में कांग्रेस के रास्ते का रोड़ा साबित हो सकती है.


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कांग्रेस ने खुद पैर पर कुल्हाड़ी मार ली?


मध्यप्रदेश और तेलंगाना में कांग्रेस को जिताने का जिम्मा चुनाव रणनीतिकार सुनील कनुगोलू को मिलने वाले था. सुनील कनुगोलू को राहुल गांधी का बेहद करीबी माना जाता है. मध्यप्रदेश की बात करें तो कमलनाथ ने कनुगोलू के लिए हामी नहीं भरी थी. शुरुआत में कनुगोलू ने ने मध्यप्रदेश में कांग्रेस के लिए रणनीति जरूर बनाई. लेकिन कमलनाथ ने उनके लिए कहा था कि ये कॉर्पोरेर्ट कल्चर उन्हें समझ नहीं आता. जिसके बाद कांग्रेस के लिए कनुगोलू का सारा फोकस तेलंगाना के लिए था. यह कहना गलत नहीं होगा कि सुनील कनुगोलू को मध्यप्रदेश से हटाकर कांग्रेस ने खुद अपने पैर पर कुल्हाड़ी मार ली. 


तेलंगाना में बीआरएस को दिया झटका


अब कहा यह जा रहा है कि अगर मध्यप्रदेश में कांग्रेस कनुगोलू के हिसाब से चली होती तो शायद पार्टी के लिए नतीजा कुछ और होता. लेकिन ऐसा नहीं हुआ, कांग्रेस के पास अब अफसोस करने के अलावा कुछ भी नहीं है. वहीं, तेलंगाना की बात करें तो कांग्रेस ने राज्य में जबरदस्त प्रदर्शन किया है. राज्य की 66 सीटों कांग्रेस जीत की ओर बढ़ रही है. गौर करने वाली बात यह है कि 2014 के बाद तेलंगाना में बीआरएस को हार का सामना करना पड़ रहा है. केसी राव की जगह अब कांग्रेस के रेवंत रेड्डी सीएम बन सकते हैं. यहां कनुगोलू की टीम ने कांग्रेस के लिए कड़ी मेहनत की जिसका असर नतीजों में साफ दिखाई भी दे रहा है. राजस्थान और मध्यप्रदेश में में अशोक गहलोत और कमलनाथ ने रणनीतिकारों के तरीकों को सिरे से नकार दिया था.


कौन हैं सुनील कनुगोलू


सुनील कनुगोलू कर्नाटक के रहने वाले हैं और उनकी गिनती देश के मजबूत चुनावी रणनीतिकारों में होती है. सुनील कनुगोली ही हैं जिसकी वजह से कांग्रेस ने कर्नाटक की सत्ता में वापसी की थी. केसीआर ने कनुगोलू को अपने खेमे में शामिल करने की कोशिश की थी. लेकिन उन्होंने केसीआर के ऑफर को स्पष्ट रूप से ठुकरा दिया था. कनुगोलू को राहुल गांधी का करीबी माना जाता है. कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा में कनुगोलू ने अहम रोल निभाया था. कांग्रेस से पहले सुनील कनुगोलू अन्नाद्रमुक, भाजपा और द्रमुक के लिए भी चुनावी रणनीति तैयार कर चुके हैं. सुनील कनुगोलू पहले प्रशांत किशोर की टीम के लिए काम करते थे. बाद में उन्होंने प्रशांत किशोर से अलग होकर अपना काम शुरू किया.


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