Rajasthan CM Race: बालकनाथ ने दिए संकेत, क्या वसुंधरा ने फंसाया पेंच? राजस्थान में अब नड्डा करेंगे विधायकों से मुलाकात
Rajasthan New CM Name: सबसे पहली निगाह राजस्थान पर टिकी हैं. यहां बीजेपी ने कांग्रेस को सत्ता से बाहर किया है. जाहिर पार्टी किसी भी नाराजगी को बगावत में तब्दील होते नहीं देखना चाहती है. इसलिए पर्यवेक्षकों की कमान दिग्गज राजनाथ सिंह को थमाई गई है. पर क्या वसुंधरा राजे ने पहले ही खेल कर दिया है.
Rajasthan Politics: तीनों राज्यों में से सबसे ज्यादा चुनौती वाला राज्य बीजेपी आलाकमान के लिए राजस्थान है, क्योंकि यहां पर बड़ी संख्या उन विधायकों की है जो पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के खेमे के माने जाते हैं. हालांकि पार्टी ने चुनाव से पहले सीएम फेस घोषित नहीं करके यह साफ दर्शा दिया था कि पार्टी को बहुमत मिलने के बाद पार्लियामेंट्री बोर्ड के आधार पर ही मुख्यमंत्री का नाम तय होगा. रविवार को होने वाली बैठक में सीएम का नाम का सस्पेंस खत्म हो सकता है. लेकिन इस बीच, सीएम पद की रेस में शामिल महंत बालकनाथ ने संकेत दिए हैं कि वह इस दौड़ में नहीं हैं. वहीं, पार्टी चीफ जेपी नड्डा भी विधायकों से वर्चुअली मुलाकात करने जा रहे हैं. आइए समझते हैं कि इसके मायने क्या हैं? क्या वसुंधरा राजे का रास्ता साफ हो गया है?
सीएम के नाम पर कब खत्म होगा सस्पेंस?
विधानसभा चुनाव में जीत की हैट्रिक लगाने वाली बीजेपी ने मुख्यमंत्रियों के नाम को लेकर लगातार बैठकें कीं. फिर पार्टी ने राजस्थान में अब तमाम कयासों और संभावनाओं को खत्म करने के लिए पर्यवेक्षकों के नाम का ऐलान किया. बीजेपी ने राजनाथ सिंह, सरोज पांडे और विनोद तावड़े को पर्यवेक्षक बनाया. रविवार को राजस्थान में विधायक दल नेता चुनने के लिए पर्यवेक्षक नियुक्त बैठक कर सकते हैं. विधायक दल की बैठक के बाद CM को लेकर सस्पेंस खत्म होगा.
सीएम पद की रेस से हटे महंत बालकनाथ?
लेकिन उससे पहले महंत बालकनाथ के एक्स पर पोस्ट ने चौंका दिया है. महंत बालकनाथ ने लिखा कि पार्टी व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में जनता जनार्दन ने पहली बार सांसद व विधायक बनाकर राष्ट्रसेवा का अवसर दिया. चुनाव परिणाम आने के बाद से मीडिया व सोशल मीडिया पर चल रही चर्चाओं को नजरअंदाज करें. मुझे अभी प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में अनुभव प्राप्त करना है.
राजस्थान सीएम का चुनाव टेढ़ी खीर क्यों?
गौतलब है कि राजस्थान में मुख्यमंत्री का चुनाव बीजेपी के लिए टेढ़ी खीर साबित हो सकता है. क्योंकि यहां कई नाम चर्चा में हैं. संभव है कुछ के लिए लॉबिंग भी चल रही हो. 10 दिसंबर को विधायक दल की बैठक होने की खबरें हैं. लेकिन उससे पहले इस वक्त राजस्थान में मुख्यमंत्री की रेस में जो दावेदार आगे हैं उनमें पहला नाम तो जाहिर तौर पर पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का है. उसके बाद केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत हैं. सांसद से विधायक बनाई गईं दीया कुमारी और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी भी दौड़ में बताए जा रहे हैं. राज्यवर्धन सिंह राठौड़ को भी दावेदार कहा जा रहा है.
आलाकमान से राजे की मुलाकात के मायने
वसुंधरा राजे का नाम सामने आना स्वभाविक है. लेकिन इस बार सियासी गलियारे में उनके बेटे दुष्यंत सिंह का भी नाम खुलकर सामने आ रहा है. दिल्ली में वसुंधरा और पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा की मुलाकात हो चुकी है. हालांकि इस मीटिंग के मुद्दे का खुलासा नहीं हुआ है लेकिन बैठक के बाद वसुंधरा काफी पॉजिटिव नजर आईं. अगर इसे लॉबिंग न भी कहें तो संभव है ये मुलाकात दूसरे सीएम प्रतिद्वंद्वियों के मुकाबले मनोवैज्ञानिक बढ़त लेने की कोशिश हो. इसलिए हैरानी की बात नहीं है कि वसुंधरा पीएम मोदी की गारंटी का जिक्र बार-बार कर रही हैं.
वसुंधरा राजे इतनी अहम क्यों?
जान लीजिए कि राजस्थान में लोकसभा की 25 सीट हैं. पार्टी सीनियर लीडर वसुंधरा की नाराजगी मोल लेना नहीं चाहती है. लेकिन फिर भी वसुंधरा को छोड़कर राजस्थान में कोई भी छुपा रुस्तम साबित हो सकता है. राजस्थान बीजेपी चीफ सीपी जोशी ने कहा कि पार्लियामेंट्री बोर्ड को तय करना है उसके होने के बाद सब तय हो जाएगा.