‘कृत्रिम गर्भ’ के जरिए हर साल प्रयोगशाला में पैदा हो सकेंगे 30,000 बच्चे, क्या है ये योजना?
First Artificial Womb Facility: माता-पिता पॉड्स पर एक स्क्रीन के माध्यम से नजर रख सकेंगे जिससे वह अपने बच्चे के विकास और वृद्धि को देख सकेंगे. फोन पर एक एप के जरिए भी इस डाटा पर नजर रखी जा सकती है.
First Artificial Womb Facility: मशीनों, गैजेट्स का महत्व इंसान की जिंदगी में बहुत पहले ही स्थापित हो चुका है. भविष्य में मशीनों के जरिए क्या-क्या हो सकता है इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है. ऐसा ही एक अविश्वसनीय लगने वाला दावा सांइस कम्यूनिकेटर और वीडियो प्रॉड्यूसर हाशेम अल घाइली द्वारा किया गया. जिसके मुताबिक अब बच्चे कृत्रिम गर्भ के जरिए पैदा होंगे. मां को गर्भवती होनी की जरुरत नहीं पड़ेगी, डिलीवरी के दौरान होने वाले दर्द या ऑपरेशन से भी मुक्ति मिलेगी.
EctoLife, ‘दुनिया की पहली कृत्रिम गर्भ सुविधा’ है जो अभी के लिए सिर्फ एक अवधारणा है. यह माता-पिता को अनुकूलित बच्चे पैदा करने का एक तरीका प्रदान करती है. इसकी वेबसाइट के अनुसार, यह अवधारणा बर्लिन स्थित हाशम अल-घाइली के दिमाग की उपज है.
‘एक वर्ष में 30,000 बच्चों को विकसित करने में सक्षम’
अल-घाइली कहते हैं, एक्टोलाइफ की अवधारणा दुनिया भर के शोधकर्ताओं द्वारा पचास वर्षों के ‘अभूतपूर्व वैज्ञानिक अनुसंधान’ पर आधारित है. यह एक प्रयोगशाला में पारदर्शी ‘ग्रोथ पॉड्स’ में एक वर्ष में 30,000 बच्चों को विकसित करने में सक्षम होगी.
EctoLife सुविधा नवीकरणीय ऊर्जा पर चलेगी, इसके तहत 75 प्रयोगशालाओं को बनाने की योजना है. एक प्रयोगशाल में 400 ग्रोथ पॉड या कृत्रिम गर्भाशय होंगे.
माता-पिता बच्चे पर नजर रख सकेंगे
इन पॉड्स को मां के गर्भ में मौजूद वातावरण के समान वातावरण प्रदान करने के लिए डिजाइन किया गया है. माता-पिता पॉड्स पर एक स्क्रीन के माध्यम से नजर रख सकेंगे जिससे वह अपने बच्चे के विकास और वृद्धि को देख सकेंगे. फोन पर एक एप के जरिए भी इस डाटा पर नजर रखी जा सकती है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अल-घाइली ने कहा, ‘कृत्रिम-बुद्धिमत्ता आधारित प्रणाली बच्चे की शारीरिक विशेषताओं पर भी नजर रखती है और किसी भी संभावित आनुवंशिक असामान्यताओं की रिपोर्ट करेगी.’
घाइली ने कहा, ‘एक्टोलाइफ एक सुरक्षित, दर्द-मुक्त विकल्प प्रदान करेगा आपको बिना तनाव के अपने बच्चे को जन्म देने में मदद करेगा.’ अल-घाइली का मानना है कि अगर नैतिक प्रतिबंध हटा दिए जाते हैं तो कृत्रिम गर्भ सुविधा 10 साल में एक वास्तविकता बन सकती है.
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