India Monkeypox Case: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने मंकीपॉक्स को वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित कर दिया है. वहीं, भारत में भी इसके चार मामले सामने आ चुके हैं. देश में सामने आ रहे मामलों के बीच अब विशेषज्ञों ने ऐहतियात बरतते को कहा है. उनका कहना है कि कम रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले व्यक्तियों को अधिक देखभाल की जरूरत है. हालांकि, विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि इससे घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि यह वायरस कम संक्रामक है और इसमें मौत की आशंका बेहद कम होती है.


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आइसोलेशन से लगाम


विशेषज्ञों के अनुसार, मंकीपॉक्स को कड़ी निगरानी के जरिए प्रभावी रूप से रोका जा सकता है. संक्रमित व्यक्तियों को पृथक करके और उनके संपर्क में आए लोगों को अलग करके संक्रमण के प्रसार पर लगाम लगाई जा सकती है. साथ ही उन्होंने रेखांकित किया कि कमजोर रोग प्रतिरक्षा वाले व्यक्तियों की अधिक देखभाल करने की जरूरत है.


वायरस के हैं दो स्वरूप


पुणे में स्थित राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (NIV) की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉक्टर प्रज्ञा यादव ने कहा कि मंकीपॉक्स वायरस दोहरे डीएनए स्वरूप वाला वायरस है, जिसमें दो अलग-अलग आनुवंशिक स्वरूप होते हैं. इनमें से एक स्वरूप मध्य अफ्रीकी (कांगो बेसिन) है और एक पश्चिम अफ्रीकी है.


कांगो का वायरस कम गंभीर


उन्होंने कहा कि हाल में जिस प्रकोप ने कई देशों को प्रभावित कर चिंता में डाल दिया है, उसके पीछे पश्चिमी स्वरूप है, जिसे पहले सामने आए कांगो स्वरूप से कम गंभीर बताया जा रहा है. बता दें कि NIV भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद के प्रमुख संस्थानों में से एक है.


पांच दशक से है मौजूद


महामारी विशेषज्ञ एवं संक्रामक रोग चिकित्सक डॉ. चंद्रकांत लहरिया ने कहा कि मंकीपॉक्स कोई नया वायरस नहीं है. उन्होंने कहा कि यह पांच दशकों से विश्व स्तर पर मौजूद है और इसकी वायरल संरचना, संचरण और रोगजनकता के बारे में काफी जानकारी उपलब्ध है.


वायरस के जल्द नहीं दिखते लक्षण


उन्होंने कहा कि वायरस के कारण ज्यादातर मामलों में हल्की बीमारी होती है. यह कम संक्रामक है और सार्स-कोव-2 (कोरोना वायरस) के विपरीत इस रोग की चपेट में आने वाले व्यक्तियों के संपर्क में रहा जा सकता है. सार्स-कोव-2 में सांस लेने में समस्या आती है और इसमें ऐसे लोगों की संख्या अधिक होती है, जिनमें लक्षण दिखाई नहीं देते हैं.


अभी वैक्सीनेशन की नहीं जरूरत


लहरिया ने कहा कि अब तक, बहुत से ऐसे कारण हैं, जिनके आधार यह माना जा सकता है कि मंकीपॉक्स के प्रकोप से प्रभावी ढंग से निपटा जा सकता है और रोगियों व उनके संपर्क में आए लोगों को पृथक करके और चेचक के मंजूरी प्राप्त टीकों के इस्तेमाल से इस पर लगाम लगाई जा सकती है. फिलहाल आम लोगों के टीकाकरण की सिफारिश नहीं की जानी चाहिए.


WHO ने कही थी ये बात


बता दें कि WHO मंकीपॉक्स को चिंजाजनक वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया है. वैश्विक स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि 70 से अधिक देशों में मंकीपॉक्स का प्रसार होना ‘असाधारण’ परिस्थिति है. WHO के महानिदेशक टेड्रोस अदनोम घेब्रेयसुस ने कहा कि संक्षेप में, हम एक ऐसी महामारी का सामना कर रहे हैं, जो संचरण के नए माध्यमों के जरिए तेजी से दुनिया भर में फैल गई है और इस रोग के बारे में हमारे पास काफी कम जानकारी है.


दुनिया में 16 हजार हैं केस


बता दें कि वैश्विक स्तर पर 75 देशों में मंकीपॉक्स के 16,000 से अधिक मामले सामने आए हैं और इसके कारण अभी तक पांच लोगों की मौत हो चुकी है. NTAGI के कोविड कार्यकारी समूह के प्रमुख डॉ. एनके अरोड़ा ने कहा कि घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि यह बीमारी कम संक्रामक है और इससे मौत होने की आशंका भी बेहद कम होती है. लेकिन कमजोर प्रतिरक्षा वाले व्यक्तियों को विशेष रूप से सावधान रहने की जरूरत है.


मंकीपॉक्स के मामलों का पता लगाने की जरूरत


उन्होंने कहा कि भले ही इसका प्रसार चिंता का विषय है, लेकिन घबराने की जरूरत नहीं है. कड़ी निगरानी, ​​संक्रमित लोगों और उनके संपर्क में आए व्यक्तियों को अलग करके इस वायरस पर काबू पाया जा सकता है. भारत ने कोविड-19 महामारी से सीखे गए सबक के आधार पर, देश में मंकीपॉक्स के मामलों का पता लगाने और उन पर नजर रखने के लिए एक निगरानी प्रणाली स्थापित की है. भारत में अब तक इस बीमारी के चार मामले सामने आए हैं. इनमें से तीन केरल जबकि एक दिल्ली में सामने आया है. केंद्र ने राष्ट्रीय राजधानी के 34 वर्षीय व्यक्ति के संक्रमित होने की पुष्टि की, जिसका कोई विदेश यात्रा इतिहास नहीं है.
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