World Rabies Day: हर साल 28 सितंबर को वर्ल्ड रेबीज डे (Rabies Day) मनाया जाता है. इसका उद्देश्य रेबीज (Rabies) के प्रति लोगों को जागरूक करना है. रेबीज एक खतरनाक बीमारी है, थोड़ी सी चूक भी जान जाने की वजह बन सकती है. आइए जानते हैं कि क्या है रेबीज, ये कैसे फैलती है और इसके खतरों से कैसे बचा जा सकता है. 


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क्यों मनाते हैं रेबीज डे?


पहली बार रेबीज की वैक्सीन को 1885  में बनाया गया था. इस वैक्सीन को शहूर माइक्रोबायोलॉजिस्‍ट लुई पाश्‍चर ने विकसित किया था. 28 सितंबर को लुई पाश्‍चर की डेथ एनिवर्सिरी होती है, इसीलिए इस दिन को वर्ल्ड रेबीज डे के रूप में मनाया जाता है. वर्ल्ड रेबीज डे मनाने का मकसद रेबीज के खतरों और रेबीज के उपचार के प्रति लोगों को जागरूक करना है.


क्या है इस साल की थीम


दुनिया भर में रेबीज डे मनाया जाता है. रेबीज के प्रति जागरूकता लाने के लिए हर साल एक नई थीम तय की जाती है और फिर रेबीज डे सेलिब्रेट किया जाता है. इस साल की थीम 'रेबीज: वन हेल्‍थ, जीरो डेथ्‍स' है. 


क्या है रेबीज


रेबीज बहुत ही खतरनाक बीमारी है. इसमें दिमाग में सूजन आ जाती है. इसके लक्षण कई दिनों बाद सामने आते हैं. रेबीज में थकान, मांसपेशियों सनसनाहट जैसे लक्षण दिखाई पड़ते हैं.


कैसे फैलती है ये बीमारी 


यह बीमारी जानवरों के काटने से फैलती है. जिन जानवरों में लासा वायरस पाया जाता है, उनके काटने से रेबीज हो सकता है. रेबीज के 99 फीसद मामलों में बीमारी के लिए कुत्ते को जिम्मेदार माना गया है. रेबीज कुत्ते, बिल्ली और बंदर के काटने से फैल सकता है. जानवरों के घाव और आंखें भी रेबीज फैला सकती हैं. 


कैसे बचें


जानवरों के काटने को हल्के में लेना भारी साबित हो सकता है. अगर गाय, कुत्ता, बिल्ली, भैंस या बंदर जैसा कोई भी जानवर काटे तो घर पर इलाज करने की बजाय तुरंत डॉक्टर के पास जाएं. डॉक्टर रेबीज का टीका लगाएगा, जिससे रेबीज का खतरा टल जाएगा. अगर आप घाव का घर पर ही इलाज करते हैं तो उस वक्त तो कुछ नहीं, लेकिन बाद में रेबीज के लक्षण आपको घेर सकते हैं, इसलिए लापरवाही बिल्कुल न करें.


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