Science News: बेहद चुनौतीपूर्ण भविष्‍य के लिए तैयार हो जाइए! वैज्ञानिकों ने भविष्यवाणी की है कि अगले दो दशकों में, हर चार में से तीन लोगों को चरम मौसमी घटनाओं (extreme weather events) का सामना करना पड़ेगा. नॉर्वे के सेंटर फॉर इंटरनेशनल क्लाइमेट रिसर्च (CICERO) में फिजिसिस्ट ब्योर्न सैमसेट ने कहा, 'बेस्ट केस में, हमारा अनुमान है कि (मौसम में) तीव्र बदलाव 1.5 अरब लोगों को प्रभावित करेंगे.' लेकिन इस बेस्ट केस सिनेरियो तक केवल ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में नाटकीय कमी करके ही पहुंचा जा सकता है. अभी इसकी कोई संभावना नहीं दिखती.


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मौसमी बदलाव से होने वाली तबाही तो तय है!


CICERO के जलवायु वैज्ञानिक कार्ले इल्स और उनके सहयोगियों का मॉडल बताता है कि अगर हम इसी रास्ते पर चलते रहे तो, मौसम में आने वाले खतरनाक बदलाव पृथ्वी की 70 प्रतिशत मानव आबादी को प्रभावित करेंगे. उनके मॉडल से यह भी पता चलता है कि जो कुछ आने वाला है, वह पहले से ही तय है.


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एक्सट्रीम वेदर इवेंट्स से दो-चार हो चुकी दुनिया


रिसर्चर्स के मुताबिक, हम पहले ही ऐसी एक्सट्रीम घटनाओं से दो-चार हो चुके हैं. कोपरनिकस के डेटा से पता चलता है कि पृथ्वी ने अभी-अभी उत्तरी गोलार्ध में सबसे गर्म गर्मी सीजन का अनुभव किया है. पिछला रिकॉर्ड पिछले साल ही बना था. दक्षिणी गोलार्ध में भी रिकॉर्ड तोड़ने वाली गर्म सर्दी पड़ रही है.


1850-1900 की तुलना में मंथली ग्लोबल सरफेस एयर टेंपरेचर की विसंगतियां (°C) में (सोर्स: कोपरनिकस जलवायु परिवर्तन सेवा /ECMWF)

ग्लोबल तापमान में यह इजाफा अपने साथ घातक आग, बाढ़, तूफान और सूखा लेकर आया है, जिससे फसलें नष्ट हो रही हैं और बड़े पैमाने पर अकाल की स्थिति पैदा हो रही है. सैमसेट ने कहा कि 'इससे निपटने का इकलौता तरीका यह है कि हम ऐसी स्थिति के लिए तैयार रहें जिसमें अगले एक से दो दशकों में अभूतपूर्व एक्सट्रीम इवेंट्स की संभावना बहुत अधिक हो.'


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भविष्‍य में और तेजी से होंगी मौसमी बदलाव


रिसर्च टीम की मॉडलिंग से पता चलता है कि आगे भी मौसम में होने वाले एक्सट्रीम बदलाव पहले से कहीं ज्यादा तेजी से होंगे. यानी, यह संभावना बढ़ जाती है कि तापमान, बारिश और हवाओं में ज्यादा खतरनाक बदलाव एक के बाद एक या एक साथ हो सकते हैं. अगर उदाहरण देखें तो शुष्क बिजली की बढ़ती घटनाओं और अधिक शुष्क परिस्थितियों के कारण दुनिया भर के जंगलों में लगातार और तीव्र आग लग रही है. 2022 में, पाकिस्तान में भीषण गर्मी के तुरंत बाद अभूतपूर्व बाढ़ आई, जिससे लाखों लोग प्रभावित हुए.


रिसर्चर्स ने कहा कि उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्र, जहां अधिकांश इंसानी आबादी बसती है, सबसे बड़ी मौसमी चरम स्थितियों का सामना करेंगे. यह रिसर्च 'नेचर जियोसाइंस' जर्नल में छपी है. 


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