अफगानिस्तान में रोजाना 9 बच्चे मारे जाते हैं : यूनिसेफ
यूनिसेफ में राष्ट्र प्रतिनिधि अबुबकर कम्पो ने रिपोर्ट के जारी होने पर यहां पत्रकारों से कहा, `2019 की पहली तीन तिमाहियों में 631 बच्चे मारे गए हैं और 1,830 घायल हुए हैं. यह संख्या चौंकाने वाली है.`
काबुल: दुनिया के सबसे घातक युद्धक्षेत्रों में शुमार अफगानिस्तान में इस साल के पहले नौ महीनों में दैनिक आधार पर औसतन नौ बच्चों की मौत हो गई, या वह घायल हो गए. यूनिसेफ द्वारा मंगलवार को जारी एक रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है. 'अफगानिस्तान में संरक्षण की उम्मीद : दुनिया में सबसे घातक संघर्ष में बच्चों की रक्षा' नामक रिपोर्ट में बताया गया है कि 2018 में इसी अवधि की तुलना में बाल हताहतों की संख्या में 11 फीसदी का इजाफा हुआ है.
एफे न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, यूनिसेफ की रिपोर्ट में अफगानिस्तान में हुए संघर्ष के कारण बच्चों पर पड़े विनाशकारी प्रभाव के लिए युद्धरत सभी पक्षों को दोषी ठहराया गया है.
यूनिसेफ में राष्ट्र प्रतिनिधि अबुबकर कम्पो ने रिपोर्ट के जारी होने पर यहां पत्रकारों से कहा, '2019 की पहली तीन तिमाहियों में 631 बच्चे मारे गए हैं और 1,830 घायल हुए हैं. यह संख्या चौंकाने वाली है.' आत्मघाती विस्फोटों में वृद्धि और सरकार के समर्थक व विरोधी बलों के बीच पनपने वाले संघर्ष को मुख्य रूप से हिंसा के चौंकाने वाले स्तर के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है.
इस संघर्ष में 2009 और 2018 के बीच कुल मिलाकर लगभग 6,500 बच्चे मारे गए, जबकि लगभग 15,000 अन्य बच्चे घायल हो गए. इससे अफगानिस्तान वर्तमान में हत्या के मामले में दुनिया का सबसे खराब क्षेत्र बन गया है.
यूनिसेफ की प्रवक्ता एलिसन पार्कर ने एफे न्यूज को बताया, 'एजेंसी इस तथ्य पर दुनिया का ध्यान आकर्षित करना चाहती है कि अफगानिस्तान एक बच्चे के लिए ग्रह के सबसे खतरनाक देशों में से एक है.' संयुक्त राष्ट्र ने 2018 में स्कूलों, अस्पतालों और उनके कर्मचारियों के खिलाफ 162 हमलों को चिन्हित किया है.
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