काबुल: अफगानिस्तान (Afghanistan) के पंजशीर पर कब्जे को लेकर नेशनल रेजिस्टेंस फोर्स (NRF) और तालिबान (Taliban) के बीच जंग जारी है. इस बीच रविवार को एनआरएफ के चीफ अहमद मसूद (Ahmed Masood) ने मौलानाओं का शांति प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए तालिबान के सामने जंग खत्म करने की बात रखी है. 


इस शर्त पर होगा समझौता


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हालांकि इससे पहले मसूद ने पंजशीर और अंद्राब में तालिबानी हमले रोकने की शर्त रखी है. उन्होंने कहा, 'NRF पंजशीर पर लगाए गए प्रतिबंधों को उठाने के लिए मौलवियों के आह्वान का पूरी तरह से समर्थन करता है और उम्मीद करता है कि तालिबान समूह इस इस्लामी और मानवीय मांग को गंभीरता से लेगा और इसे लागू करेगा. इसके बदले में एनआरएफ अपने लड़ाकों को सैन्य कार्रवाई से करने से बचने का निर्देश देगा.'



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समझौते के बहाने बड़ी प्लानिंग?


गौरतलब है कि तालिबान इस समय मजबूत स्थिति में है. तालिबानी लड़ाके पंजशीर में ताकत के दम पर कब्जा चाहते हैं. लड़ाई मसूद ने शुरू की थी, इसलिए तालिबानी लड़ाकों में गुस्सा है. लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि मसूद संघर्ष विराम के बहाने अपने लड़ाकों को एकजुट करने की कोशिश कर सकता है. इससे उन्हें थोड़ा वक्त मिल जाएगा. यदि तालिबान सर्दियों से पहले पंजशीर पर कब्जा नहीं कर पाया तो फिर वहां घुसना और फिर टिके रहना मुश्किल हो जाएगा.


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पंजशीर के 4 जिलों पर कब्जा


Zee Media की ग्राउंड रिपोर्ट के मुताबिक, तालिबान पंजशीर घाटी पर कब्जा करने के करीब पहुंच गया है. फिलहाल तालिबान का शोतुल जिले पर नियंत्रण हो गया है जो प्रांत में प्रवेश करने वाला पहला गांव है. तालिबान के पास परियन, अनाबा, दाराह और रोखा जिलों पर भी तालिबान ने नियंत्रण किया है. अब तालिबान पंजशीर प्रांत की राजधानी बाजारक पर नियंत्रण पाने के लिए भीषण युद्ध लड़ रहा है. इसके बाद से ही बड़े पैमाने पर लोग इन इलाकों से पलायन कर रहे हैं. इतना ही नहीं, घाटी और उसके आसपास नेटवर्क सर्विस को भी पूरी तरह से बंद कर दिया गया है.


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