वॉशिंगटन: दक्षिण एशिया से जुड़े मामलों के अमेरिकी विशेषज्ञों का कहना है कि जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले में गुरुवार को हुए आतंकी हमले में जैश-ए-मोहम्मद की संलिप्तता ने इसमें पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई की भूमिका को लेकर गंभीर सवाल खडे़ कर दिए हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि आतंकवादी हमले से पता चलता है कि अमेरिका जैश-ए-मोहम्मद और अन्य आतंकवादी समूहों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए पाकिस्तान को मनाने में विफल रहा है.


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भारतीय सेना के 44 जवान शहीद
बता दें कि पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है, जिसमें सीआरपीएफ के कम से कम 44 जवान शहीद हो गए जबकि कई अन्य गंभीर रूप से घायल हैं.



इमरान खान के लिए बड़ी चुनौती!
अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के एक पूर्व विश्लेषक ब्रूस रिडेल ने बताया, "हमले में जैश-ए-मोहम्मद की स्व-घोषित भागीदारी इस हमले के सरगना के समर्थन में आईएसआई की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े करती है." ब्रुकिंग्स इंस्टीट्यूट थिंक-टैंक में विद्वान रिडेल ने कहा कि एक हमला जिसके निशान पाकिस्तान में मिलते हैं, यह पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के कार्यकाल के पहली बड़ी चुनौती है.


भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ता रहेगा तनाव
ओबामा प्रशासन में राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के एक पूर्व अधिकारी अनीश गोयल ने कहा कि इस भयावह हमले में से पता चलता है कि पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूह किस तरह अब भी कश्मीर में सक्रिय हैं. उन्होंने कहा, "हमले के तुरंत बाद इसकी जिम्मेदारी लेने का दावा करके जैश-ए-मोहम्मद स्पष्ट रूप से संकेत दे रहा है कि वह इस क्षेत्र में परेशानी पैदा करता रहेगा और पाकिस्तान और भारत के बीच तनाव बढ़ाता रहेगा." 


पीएम मोदी पर बढ़ेगा कार्रवाई करने का दबाव
गोयल ने कहा, "इस हमले के मद्देनजर प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) पर कश्मीर में सक्रिय सभी आतंकी समूहों के खिलाफ कार्रवाई करने का दबाव बढ़ने की संभावना है."