Dementia: बुजुर्ग ही नहीं बच्चों में भी डिमेंशिया, अमेरिका से आया हैरान करने वाला केस
Dementia Disease: बचपन में भी डिमेंशिया की दिक्कत हो सकती है. आप ने शायद ही सुना होगा कि बच्चों में इस तरह की दिक्कत आती है लेकिन अमेरिका के दो भाई दुर्लभ डिमेंशिया का सामना कर रहे हैं. परिवार का कहना है कि जब उन्हें पता चला तो वो डर गए. हालांकि वो कड़वे सच का सामना कर रहे हैं.
Dementia Disease News: डिमेंशिया यानी याददाश्त शक्ति का कमजोर होना आमतौर बुजुर्गों में पाया जाता है लेकिन बचपने में डिमेंशिया हैरान करने वाली खबर है. न्यूयॉर्क पोस्ट के मुताबिक दो अमेरिकी भाई माइकल, उम्र 6 वर्ष और ओलिवर उम्र 2 वर्ष है, वो एक अलग तरह की डिमेंशिया का सामना कर रहे हैं जिन्हें दुर्लभ श्रेणी में रखा गया है. डॉक्टरों ने इन दोनों भाइयों में इस वर्ष अप्रैल और मई के महीने में टाइप-2 बैटेन डिजीज की पहचान की थी. इस खास बीमारी को न्यूरोनल सेरॉयड लिपोफ्युसिनोस के नाम से भी जाना जाता है. इस तरह के रोग में बच्चों की जीन में काफी बदलाव देखे जाते हैं.
मां का छलका दर्द
अपने बच्चों की हालात पर उनकी मां क्रिस्टिन टकर कहती हैं कि आप किसी बच्चे को कैसे समझाएंगे कि उसके पास जिंदगी के लिए कम समय बचा है. वो लंबे समय के लिए टाल रहे हैं. टकर ने बताया कि माइकल को दौरे 3 साल की उम्र में शुरू हुए और जैसे-जैसे वह बड़ा होता गया यह बदतर होता गया. दवाएं उस पर काम नहीं कर रही थीं. बाद में जेनेटिक टेस्ट से पता चला कि माइकल को बैटन रोग टाइप 2 डिमेंशिया है. हमने इसके बारे में पहले कभी नहीं सुना था और डर भी लग रहा था. हमें बताया गया कि इस रोग का सामना करने वाले बच्चों की औसत उम्र लगभग आठ से 12 वर्ष की होती है. विश्वास नहीं हो रहा था कि उनके बच्चे के पास केवल कुछ ही साल बचे होंगे और वह इतना कष्ट सहेगा.
एक लाख में से एक बच्चे पर बैटन का असर
महिला को आगे पता चला कि वह और उसका पति दोनों टाइप 2 बैटन के वाहक थे, और उनका जीन माइकल और उनके सबसे छोटे बच्चे ओलिवर में ट्रांसफर हो गया हालांकि उनकी 4 साल की बेटी को यह बीमारी नहीं है लेकिन वह भी इसकी वाहक है. बैटन वैश्विक स्तर पर प्रत्येक 100,000 बच्चों में से एक को प्रभावित करता है. इसके लक्षणों में दौरे पड़ना,बोलने में कठिनाई, मोटर कौशल, दृष्टि और बचपन का मनोभ्रंश शामिल है, जिसमें अंत में मौत हो जाती है. माइकल और ओलिवर के माता पिता का कहना है कि दिल टूट गया है. इन सबके बीच अपने बेटों के जीवन को यथासंभव लंबे समय तक बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं. वो टूटा हुआ महसूस कर रहे हैं. अभी तक समझ नहीं आया कि उन्हें ये बीमारी कैसे हो सकती है. इस बीमारी ने हम सभी को तबाह कर दिया है. लेकिन हम यह प्रयास कर रहे हैं कि जब तक वो जिंदा रहे उन्हें बेहतर जिंदगी मिले.