Anupama Singh: कौन हैं IFS अफसर अनुपमा सिंह? UN में बंद कर दी पाकिस्तान की बोलती
IFS Anupama Singh: भारत की प्रतिभा का डंका स्पेस से लेकर यूएन तक बोलता है. यहां बात भारतीय विदेश सेवा की महिला अफसर अनुपमा सिंह की जिन्होंने पाकिस्तान (Pakistan) को मुंहतोड़ जवाब देते हुए उसकी बोलती बंद दी.
India slams Pakistan in UN: पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है. चंद रोज पहले संयुक्त राष्ट्र (UN) की एक बैठक में पाकिस्तानी अधिकारी ने कश्मीर का राग अलापते हुए भारत को घेरने की कोशिश की तो भारतीय विदेश विभाग (MEA) के काबिल अफसरों में से एक अनुपमा सिंह पाकिस्तान को फटकार लगाते हुए उसके दोमुहे चरित्र और चेहरे को दुनिया के सामने रख दिखा. अनुपमा सिंह ने कहा, 'पाकिस्तान जैसे खराब मानवाधिकार रिकॉर्ड वाले देश को अन्य देशों के आंतरिक मामलों में दखल नहीं देना चाहिए.
आईएफएस अनुपमा सिंह को जानिए
भारत की प्रथम सचिव अनुपमा सिंह संयुक्त राष्ट्र (UN) में तैनात हैं. वो यूएन में भारत विरोधी गतिविधियों पर पूरी नजर रखती हैं. अनुपमा यूएन में देश की ढाल बनकर भारत के दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब देती है. हाल ही में उन्होंने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) के 55वें रुटीन सेशन में जम्मू-कश्मीर को लेकर पाकिस्तान के हालिया आरोपों का जवाब देते हुए भारत की प्रथम सचिव अनुपमा सिंह ने मजबूती से भारत का पक्ष रखा. उन्होंने 'राइट टू रिप्लाई देने के अधिकार' का प्रयोग करते हुए कहा, 'पाकिस्तान द्वारा भारत के व्यापक संदर्भों के संबंध में, हम बताना चाहते हैं कि UNHRC के मंच का एक बार फिर से भारत के खिलाफ स्पष्ट रूप से झूठे आरोप लगाने के लिए एक बार फिर से दुरुपयोग किया जाना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है.
अनुपमा सिंह की प्रोफाइल
अनुपमा सिंह की एक्स प्रोफ़ाइल के अनुसार, उन्हें अर्थशास्त्र, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के साथ-साथ कला, संस्कृति और साहित्य में गहरी रुचि है. अनुपमा सिंह ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से एमबीए किया है. उनके पास मौलाना आज़ाद नेशनल टेक्निकल इंस्टीट्यूट से कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग में बी.टेक की डिग्री भी है. अनुपमा सिंह लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (2014) से जुड़ी है. उन्होंने कॉर्पोरेट वित्त, मूल्यांकन और पोर्टफोलियो प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित करते हुए CFA प्रोगाम (2008-2011) को पूरा किया.
अनुपमा सिंह 9 वर्षों से अधिक समय तक भारतीय विदेश सेवा में राजनयिक रही हैं. इससे पहले, उन्होंने केपीएमजी में 2 साल और 3 महीने तक काम किया. उन्होने एक सलाहकार के रूप में अपने काम की शुरुआत की और बाद में 2012 से 2014 तक वरिष्ठ सलाहकार रहीं.