नई दिल्ली: फैशन वर्ल्ड की नामी कंपनी अरमानी (Armani) ने अपनी नई फ्री-फर पॉलिसी (Free-fur Policy) के  तहत बड़ा फैसला किया है. कंपनी के ताजा बयान के मुताबिक अब उनके प्रोडक्ट्स में अंगोरा ऊन (Angora Wool) का इस्तेमाल नहीं होगा. आपकों बता दें कि अंगोरा ऊन खरगोश (Rabitts) के बालों से बनता है. अपनी बेहतरीन क्वालिटी के चलते दुनियाभर के फैशन ब्रांड्स में इसकी जबरदस्त मांग है.


कंपनी का बड़ा फैसला


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Armani ने अब अपने किसी भी प्रोडक्ट में इस खास ऊन का इस्तेमाल बंद करने का फैसला किया है. आपको बता दें कि ग्लोबल लेवल पर पेटा (PETA) जैसी वो संस्थाएं जो एनिमल एक्टिविस्ट के रूप में काम करती हैं वो लंबे समय से फैशन जगत में खासकर सर्दियों के कपड़ों को बनाने में खरगोश का इस्तेमाल रोकने के लिए लंबे समय प्रदर्शन कर रहे हैं.


Armani ने हाल ही में न्यूज़ एजेंसी AFP को बताया कि उनके कलेक्शन में वैसे भी इस फर से बनने वाले प्रोडक्ट्स की हिस्सेदारी बहुत कम है. इसके बावजूद अब उन्होंने अपने किसी भी प्रोडक्ट में अंगोरा ऊन का इस्तेमाल रोकने का फैसला लिया है. वो अब ऐसे ऊन से बनने वाले प्रोडक्ट्स को किसी अन्य सामग्री के साथ बदल देंगे.


क्यों डिमांड में है अंगोरा वूल?


यह ऊन सबसे ज्यादा मजबूत और हवा को रोक देती है. इसे पहनने वालों का कहना है कि इस ऊन से बने किसी भी प्रोडक्ट को पहनने के बाद अगर भीतर कुछ भी न पहना जाए तो भी सर्दी नहीं लगती है यानी इसकी सर्दी में भी गर्मी का एहसास कराने वाली खासियत के चलते ग्राहकों में भी इसकी डिमांड बेहद हाई है. 


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अंगोरा प्रजाति के खरगोश (Angora rabbits), मूलत: टर्की (Turkey) की राजधानी अंकारा के आस-पास (Ankara) के इलाकों में पाए जाते थे. पहलीे बार ये खरगोश 18 वीं शताब्दी में फ्रांस (France) ले जाए गए. जहां अपनी Allergy-resistant Skin के चलते ये अरमानी (Armani) जैसे फैशन ब्रांड के फर वाले प्रोडक्ट्स के लिए एकदम मुफीद जानवर माने गए.



Photo: (AFP)


अंगोरा रैबिट की यूएसपी?


Amani ही नहीं दुनिया के बाकी फैशन ब्रांड्स के बीच भी इस अंगोरा वूल की भारी मांग है. इसकी एक वजह इसके बालों का बेहद तेजी से बढ़ना भी है. एक महीने में इनके बाल करीब 1.2 इंच तक बढ़ जाते हैं. जो अच्छी तरह से देखभाल के बाद जो लंबे समय तक रेशमी बने रहते हैं.


हालांकि इन खरगोशों के बालों को तोड़ना इन जानवरों के लिए एक दर्दनाक प्रक्रिया है. वहीं कभी-कभी इस काम के दौरान उनकी मौत भी हो जाती है. ऐसे में लंबे समय से एनिमल राइट्स एक्टिविस्ट की मांग के बाद अब अरमानी के इस फैसले की तारीफ भी हो रही है.