कौन सुनेगा बांग्लादेश के हिंदुओं का दर्द? वसूला जाएगा औरंगजेब के जमाने वाला जजिया टैक्स, लागू होगा शरिया कानून
Bangladesh: बांग्लादेश में जब से तख्तापलट हुआ है तभी से कट्टरपंथी आवाजें मुखर हो गई हैं. हिंदुओं के लिए हर दिन पिछले दिन से मुश्किल बनता जा रहा है. बताया जा रहा है कि अब बांग्लादेश में हिंदुओं से जजिया टेक्स वसूली की चर्चा चल रहा है.
Bangladesh Hindu: हिंदुओं के लिए अब बांग्लादेश इस धरती का नर्क बनता जा रहा है. कट्टरपंथी मौलान हर तरीके से हिंदुओं को शोषण कर रहे हैं. पहले हिंदुओं को अपनी जान जाने का खतरा था. अब बांग्लादेश में हिंदुओं को हिंदू बने रहने के लिए जजिया टैक्स देना होगा. जो लोग नहीं जानते हैं उन्हें बता दें कि औरंगजेब के समय गैर मुस्लिम को उनके धर्म का पालन के लिए टैक्स देना पड़ता था, जिसे जजिया कहा जाता था. अब जल्दी बांग्लादेश के हिंदुओं को यूनुस में औरंगजेब दिखाई देगा.
हैरानी की बात है कि गैर मुस्लिमों से जबरन जजिया वसूली को सर्विस टैक्स बोल रहा है. जकात दान है और जजिजा इस्लामिक शासन का जुल्म. लेकिन ये कट्टरपंथी मौलाना इससे इनकार करेगा. इस कट्टरपंथी की मौलाना का नाम है मो. मामुनुल हक, ये बांग्लादेश खिलाफत मजलिस का राष्ट्रीय सचिव है. बांग्लादेश में इस्लामिक कट्टरपंथ की जो आग लगी है, उसमें इसकी नफरती सोच का बहुत बड़ा हाथ है. ये हिंदुओं से जजिया की बात ही नहीं करता बल्कि ये बांग्लादेश में शरिया लागू करने की बात भी करता है. ये मौलाना इससे पहले भी कई जहरीली तकरीरें करता रहा है.
तख्तापलट के बाद से बांग्लादेश के इस्लामिक कट्टरपंथी पूरे देश पर कब्जा चाहने लगे हैं. इसीलिए पिछले कुछ महीनों में नफरती तकरीरें बढ़ गई हैं. इनमें गैर मुस्लिमों के अंदर असुरक्षा का भाव पैदा कर दिया है. ये मामुनुल हक भी पिछले काफी समय से कट्टरपंथियों की कतार में शामिल है. अब इसमें कोई दो राय नहीं है कि बांग्लादेश की यूनुस सरकार और कट्टरपंथी मिलकर काम कर रहे हैं. अगर ऐसा नहीं होता तो मामुनुल जैसे लोग इस तरह के बयान नहीं दे पाते, जिसमें गैर मुस्लिमों से जजिया टैक्स लेने की बात कही गई हो.
क्या है जजिया टेक्स?
जजिया एक प्रकार के टेक्स को कहा जाता है. जो भारतीय उपमहाद्वीप में विभिन्न मुस्लिम शासकों द्वारा गैर-मुस्लिमों से लिया जाता था. यह कर मुख्य रूप से भारत में मुगल साम्राज्य के समय में लागू किया गया था, हालांकि यह पहले के विभिन्न राजवंशों की तरफ भी लिया जाता रहा था. भारतीय उपमहाद्वीप में इसे मुख्य रूप से औरंगजेब के शासनकाल से जोड़ा जाता है. हालांकि इससे पहले भी इस तरह की टेक्स वसूली का इतिहास मिलता है. कुछ जगहों पर पढ़ने को मिलता है कि यह टेक्स सिर्फ उन गैर-मुस्लिम लोगों से वसूला जाता था जो शारीरिक और आर्थिक रूप से सक्षम होते थे. महिलाओं, बच्चों, बुजुर्गों और धार्मिक लोगों को आम तौर पर इस कर से छूट दी जाती थी.