Australia's dark secret about Homosexuals: ऑस्ट्रेलिया के एक छोटे से शहर कूमा में एक गहरा रहस्य है, वहां एक जेल है, जिसका इस्तेमाल 'समलैंगिक अपराधों' के लिए व्यक्तियों को कैद करने के लिए किया जाता था. माना जाता है कि समलैंगिकता के इलाज के उद्देश्य से इस जगह को एक मानव प्रयोगशाला के रूप में जाना जाता था.


ऐसे अपराधियों की एक मात्र जेल


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

हमारी सहयोगी वेबसाइट WION की रिपोर्ट के अनुसार, ऐतिहासिक अभिलेखागार में इस जगह का उल्लेख है. जिनके अनुसार न्यू साउथ वेल्स (NSW) के न्याय मंत्री रेग डाउनिंग ने  इस जेल की स्थापना कराई थी. डाउनिंग ने कूमा जेल को दुनिया की एकमात्र ऐसी आपराधिक संस्था के रूप में वर्णित किया, जो 1958 में एक समलैंगिक अपराधियों को कैद करने के लिए समर्पित थी. पॉडकास्ट 'द ग्रेटेस्ट मेनस' के अनुसार, जेल के कई कर्मचारियों को असली कारण भी नहीं पता था कि समलैंगिक कैदियों को वहां अलग क्यों रखा गया था.


क्यों रखा जाता था समलैंगिकों को अलग


66 वर्षीय लेस स्ट्रेजेलेकी ने 1979 में एक अधिकारी के रूप में जेल में काम करना शुरू किया और बाद में कूमा में सुधारात्मक सेवा संग्रहालय की स्थापना की. उनका मानना ​​है कि कैदियों को उनकी सुरक्षा के लिए वहां रखा गया था. उन्होंने बीबीसी को बताया, 'कूमा एक सुरक्षात्मक संस्था थी. हम समलैंगिक कैदियों पर लाल मुहर लगाते थे.' उनके अनुसार आम जेलों में समलैंगिक कैदी सुरक्षित नहीं थे. उन्होंने कहा, 'उन्हें लॉन्ग बे [सिडनी में] जैसी बड़ी जेलों में हिंसा का खतरा था.'


'उन्हें ठीक करने' की कोशिश


यहां काम कर चुके एक पूर्व कर्मचारी, क्लिफ न्यू का कहना है कि यह कम मानवीय उद्देश्यों के लिए था. उन्होंने एक पॉडकास्ट सीरीज को बताया कि हर समय मनोवैज्ञानिक और मनोचिकित्सक आ रहे थे. उनके अनुसार, ये डॉक्टर समलैंगिक पुरुषों को सही रास्ते पर लाने 'उन्हें ठीक करने' का प्रयास कर रहे थे.


1985 तक था अपराध


1950 के दशक के मध्य में कठोर राज्य कानूनों ने समलैंगिकता पर नकेल कस दी; न्यू साउथ वेल्स में 1984 तक समलैंगिकता एक अपराध था. किसी से प्यार का इजहार करना एक अपराध था, यहां तक कि दूसरे आदमी से बात करना भी एक अपराध था जिसके लिए एक आदमी को जेल हो सकती थी.


दी जाती थीं बहुत कड़ी सजाएं


इतिहासकार गैरी वोदरस्पून ने बीबीसी से बात करते हुए उस सजा के बारे में बताया जो बगरी या गुदा मैथुन कही जाती है. यह तब दी जाती थी जब जुर्म साबित हो जाता थ. तो इसमें 14 साल की सजा होती है और पुरुषों को कूमा जेल में कम से कम पांच साल बिताने पड़ सकते थे.


ऐसे बिछाते थे समलैंगिकों को पकड़ने का जाल


बीबीसी के अनुसार, पॉडकास्ट ने इस बात का सबूत दिया कि पुलिस वास्तव में पुरुषों को समलैंगिक कृत्य करने के लिए उकसाती थी. वोदरस्पून का दावा है, 'वे आम तौर पर सार्वजनिक शौचालयों में यौन संबंध बनाने के लिए प्रलोभन देकर समलैंगिक पुरुषों को फंसाने के लिए हंकी पुलिसकर्मियों का इस्तेमाल करते थे.'


एक नए आयोग की हुई स्थापना


NSW सरकार ने 1958 में 'समलैंगिकता के कारण और उपचार' की जांच के लिए एक आयोग की स्थापना की. एक बयान में कहा गया है कि इसमें 'चिकित्सा, मनोचिकित्सा, लिंग विज्ञान और सामाजिक और नैतिक कल्याण के क्षेत्र के विशेषज्ञ शामिल होंगे.' पॉडकास्ट के डेवलपर पैट्रिक एबॉड के अनुसार, मनोचिकित्सकों ने 'क्या आपकी मां की शक्ति ने आपको अन्य महिलाओं से घृणा करने के लिए प्रेरित किया?' जैसे मुद्दों को संबोधित किया. उन्होंने यह भी कहा कि 'ओवर मदरिंग' को समलैंगिकता का एक महत्वपूर्ण कारण माना जाता है.


ये भी पढ़ें: 'हनुमान चालीसा महाराष्ट्र में नहीं तो क्या पाकिस्तान में होगी?', फडणवीस ने कसा तंज


मिशन हुआ फेल


फिर भी, तमाम कोशिशों के बावजूद समलैंगिकता के खिलाफ मिशन विफल रहा. समलैंगिक पुरुषों के जेल में संबंध चल रहे थे. जिसके बाद वह रिहा होने के बाद अपने प्रेमी के पास वापस जेल में जाने के लिए अपराध करने लगे.


LIVE TV