गाम्बिया के सांसदों ने महिला खतना (Female Genital Mutilation - FGM) पर लगे कानूनी प्रतिबंध को रद्द करने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए मतदान किया है. सांसदों के इस कदम ये यह डर पैदा हो गया है कि कहीं दूसरे देश भी ऐसा ही न करें. न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक सोमवार को गाम्बिया नेशनल असेंबली के 47 सदस्यों में से 42 ने बैन को खत्म करने वाले बिल को विचार के लिए एक समिति को भेजने के लिए मतदान किया.


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मानवाधिकार कार्यकर्ता, वकीलों और महिलाओं के अधिकारों के लिए आवाज उठाने वाले इस बिल का विरोध कर रहे हैं. इनका कहना है कि प्रतिबंध को पलटने से महिला खतना को समाप्त करने की दशकों की कोशिशों पर पानी फिर जाएगा.


अगर बिल पास हुआ तो
अगर बिल अंतिम चरण में पारित हो जाता है, तो पश्चिम अफ्रीकी देश गाम्बिया महिला खतना पर लगे कानूनी प्रतिबंध को वापस लेने वाला विश्व स्तर पर पहला देश बन जाएगा.


न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक तीन महीनों में फाइनल रीडिंग के लिए संसद में वापस आने से पहले सरकारी समितियां बिल में संशोधन का प्रस्ताव दे सकती हैं. लेकिन एक्सपर्ट्स का कहना है कि अब महत्वपूर्ण चरण पार कर चुका है: जिससे बिल के समर्थकों को ताकत मिलेगी और यह संभवतः कानून बन जाएगा.


2015 में लगाया था खतना पर बैन
रिपोर्ट के मुताबिक गाम्बिया ने 2015 में खतना प्रथा पर बैन लगा दिया था. हालांकि पिछले साल तक प्रतिबंध लागू नहीं किया जा सका फिर तीन डॉक्टरों पर इसके लिए भारी जुर्माना लगाया गया.


मुस्लिम-बहुल देश में एक प्रभावशाली इमाम ने इस मुद्दे को उठाया और प्रतिबंध को रद्द करने के लिए मुहिम शुरू की. उसका दावा खतना एक धार्मिक दायित्व और सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण है.


संसद के बाहर हंगामा
गाम्बिया की राजधानी बंजुल में खतना विरोधी प्रचारक सोमवार सुबह संसद के बाहर इक्ट्ठा हुए, लेकिन पुलिस ने बैरिकेड लगा दिए और कई लोगों को अंदर जाने से रोक दिया.


वहीं सांसद फतौ बालदेह के अनुसार, खतना की वकालत करने वाले धार्मिक नेताओं और उनके समर्थकों को अंदर जाने की अनुमति दी गई. बालदेह को खतना प्रथा के प्रबल विरोधी के तौर पर देखा जाता है.