ढाका: बांग्लादेश (Bangladesh) की एक अदालत ने प्रधानमंत्री शेख हसीना की साल 2000 में हत्या की कोशिश करने के जुर्म में 14 इस्लामी आतंकवादियों को मंगलवार को मौत की सजा सुनाई. ढाका के त्वरित सुनवाई न्यायाधिकरण-प्रथम के न्यायाधीश अबू जफर मोहम्मद कमरूज्जमां ने फैसला सुनाते हुए कहा, 'मिसाल कायम करने के लिये इस फैसले को फायरिंग दस्ता लागू करेगा, जब तक कि कानून द्वारा इसपर रोक न लगाई जाए.' सुनवाई के दौरान उनमें से नौ जेल से अदालत में लाये गये थे.


सजा के खिलाफ अपील का मौका


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न्यायाधीश कमरूज्जमां ने कहा कि अन्यथा दोषियों को बांग्लादेश के कानून के तहत मृत्युदंड की अनिवार्य समीक्षा के बाद उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) के उच्च न्यायालय खंड की मंजूरी मिलने पर वर्तमान दस्तूर के अनुसार फांसी पर लटकाया जा सकता है. बांग्लादेश (Bangladesh) के कानून के मुताबिक मृत्युदंड पर स्वत: सुनवाई के बाद उच्च न्यायालय की मुहर लगना जरूरी है. अभियुक्तों को अपील दायर करने की भी इजाजत दी गयी है. न्यायाधीश ने कहा कि फरार मुजरिमों की गिरफ्तारी या उनके आत्मसमर्पण कर देने के बाद फैसले को लागू किया जाए. पांच दोषी फरार हैं.


हरकत-उल-जिहाद बांग्लादेश के सदस्य हैं सभी आतंकी


सारे ही दोषी प्रतिबंधित हरकत-उल-जिहाद बांग्लादेश (हुजी-बी) के सदस्य हैं. हरकत-उल-जिहाद बांग्लादेश के प्रमुख मुफ्ती अब्दुल हनान को भी इस मामले में अभ्यारोपित किया गया था लेकिन उसे 2017 के एक अन्य मामले में फांसी दिये जाने के बाद इस मामले में उसका नाम हटा दिया गया. हनान को शेख हसीना की हत्या की कोशिश की साजिश रचने का मुख्य सूत्रधार पाया गया था. दूसरा मामला 2017 में बांग्लादेशी मूल के तत्कालीन ब्रिटिश उच्चायुक्त की हत्या की कोशिश से जुड़ा है.


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साल 2000 में लगाया था रैली वाली जगह के पास बम


हुजी बी के सजायाफ्ता मुजिरमों ने 21 जुलाई, 2000 को दक्षिण-पश्चिम गोपालगंज के कोटलीपाड़ा में एक मैदान के समीप उच्च क्षमता वाला 76 किलोग्राम वजनी बम लगा दिया था. वहां हसीना एक चुनाव रैली को संबोधित करने वाली थीं. हालांकि सुरक्षा एजेंसियों को रैली से पहले उस जगह पर इस विस्फोटक उपकरण का पता चला गया जहां शेख हसीना का हेलीकॉप्टर उतरने वाला था. कुछ दिन बाद समीप के एक स्थान पर 40 किलोग्राम का एक अन्य उपकरण मिला था.