फेफड़ों का कैंसर दुनिया में सबसे अधिक घातक कैंसरों में से एक माना जाता है, लेकिन अगर इसका समय रहते पता चल जाए तो इसका इलाज संभव है और मरीज को बेहतर परिणाम मिल सकते हैं.
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फेफड़ों का कैंसर दुनिया में सबसे अधिक घातक कैंसरों में से एक माना जाता है, लेकिन अगर इसका समय रहते पता चल जाए तो इसका इलाज संभव है और मरीज को बेहतर परिणाम मिल सकते हैं. भारत में फेफड़ों का कैंसर सभी कैंसरों में से 5.9% और कैंसर से संबंधित 8.1% मौतों का कारण बनता है. इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर (आईएआरसी) के ग्लोबोकैन 2020 अनुमानों से सामने आया है कि 2020 में लंग कैंसर से अनुमानित 1.8 मिलियन (18 लाख) लोगों की मौत हुई है और यह संख्या लगातार बढ़ रही है.
फेफड़ों का कैंसर का अधिक खतरा उनको है जो 50 से 80 साल की आयु के हैं, धूम्रपान करते है और जिनके परिवार में लंग कैंसर का इतिहास है. इसके लिए अपोलो कैंसर सेंटर ने एक नया और एडवांस 'लंग-लाइफ स्क्रीनिंग प्रोग्राम' शुरू किया है, जिसकी मदद से इस खतरनाक बीमारी का जल्द पता लगाने में मदद मिलेगी. इसमें लो-डोज सीटी स्कैन (एलडीसीटी) तकनीक का उपयोग किया जाएगा, जो लंग कैंसर का जल्दी और सटीक जानकारी देगा है. यह तकनीक कैंसर का पता लगाने में मदद करती है, जिससे इलाज की शुरुआत जल्दी हो सकती है और इलाज के बेहतर परिणाम मिल सकते हैं. साथ ही, यह रेडिएशन का खतरा भी कम करती है.
दिल्ली स्थित अपोलो कैंसर सेंटर के पल्मोनोलॉजी एक्सपर्ट डॉ. निखिल मोदी ने बताया कि समय पर निदान से लंग कैंसर का इलाज संभव है. हमारे लंग-लाइफ स्क्रीनिंग प्रोग्राम के माध्यम से हम अधिक रिस्क वाले व्यक्तियों की पहचान कर रहे हैं, जिससे इलाज का परिणाम बेहतर हो और मरीजों को हेल्दी भविष्य की उम्मीद मिल सके. इस पहल का उद्देश्य है कि लंग कैंसर को शुरुआती चरण में ही पकड़ा जाए, ताकि उपचार संभव हो और सर्वाइवल रेट बढ़ सके. इसके बावजूद, रिपोर्ट्स के अनुसार, लगभग 80% हाई रिस्क वाले लोग कभी भी अपनी स्क्रीनिंग पर चर्चा नहीं करते. इसलिए इस स्क्रीनिंग प्रोग्राम के माध्यम से जागरूकता फैलाना बेहद जरूरी है.
वहीं, अपोलो कैंसर सेंटर में मेडिकल ऑन्कोलॉजी के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. मनीष सिंघल ने कहा बताया कि अपोलो कैंसर सेंटर के लंग-लाइफ स्क्रीनिंग प्रोग्राम के साथ हम शुरुआती चरण में लंग कैंसर का पता लगाने पर ध्यान दे रहे हैं क्योंकि इस अवस्था में प्रभावी उपचार और रिकवरी की संभावना बहुत अधिक होती है. इस प्रोग्राम में एडवांस लो-डोज सीटी स्कैन का उपयोग किया जाएगा, जिससे मरीज की सुरक्षा को प्रायोरिटी देते हुए सटीक जानकारी सुनिश्चित होगी.
फेफड़ों का कैंसर के शुरुआती संकेत
फेफड़ों के कैंसर के शुरुआती संकेत अक्सर बहुत हल्के होते हैं, जिससे इसका पता लगाना काफी मुश्किल हो जाता है. अधिकतर मरीजों इस बीमारी के लक्षण तीसरे या चौथे स्टेज में पहचान पाते हैं. हालांकि, यदि आप नीचे बताए गए लक्षणों को समय रहते पहचान लें तो फेफड़ों का कैंसर के इलाज की संभावना बढ़ जाती है.
- खांसी का बढ़ना या खांसी में बदलाव
- खांसी के दौरान खून आना
- सांस लेने में कठिनाई या घरघराहट
- सीने में दर्द या भारीपन
- ज्यादा थकावट या कमजोरी
- वजन का अचानक गिरना
- आवाज में बदलाव
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.