Bangladesh General Election: भारत के लिए स्पेशल है ये संडे, बांग्लादेश के चुनाव पर क्यों टिकी हैं निगाहें?
India-Bangladesh Relations: देश के मुख्य विपक्षी दल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) ने आम चुनाव का बहिष्कार किया है. बीएनपी चुनाव कराने के लिए एक अंतरिम गैर-दलीय तटस्थ सरकार की मांग कर रही है.
Bangladesh Politics: बांग्लादेश में रविवार को नई सरकार चुनने के लिए वोट डाले जाएंगे. भारत के लिए भी यह चुनाव खासे अहमियत रखते हैं. बांग्लादेश में अगली सरकार किसकी बनती है इस पर नई दिल्ली की नजर है. वहीं यह आम चुनाव एक बड़े राजनीतिक विवाद में बदलते जा रहे हैं. देश के मुख्य विपक्षी दल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) ने आम चुनाव का बहिष्कार किया है. बीएनपी चुनाव कराने के लिए एक अंतरिम गैर-दलीय तटस्थ सरकार की मांग कर रही है. सत्तारूढ़ अवामी लीग का नेतृत्व कर रही प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार ने इस मांग को खारिज कर दिया है.
भारत के लिए क्यों अहम है यह चुनाव ?
भारत के साथ बांग्लादेश के गहरे रिश्ते रहे हैं. 1971 के बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम में भारत ने अहम भूमिका निभाई थी. इसलिए इस चुनाव के नतीजे भारत के लिए भी अहमियत रखते हैं. शेख हसीना को भारत के साथ अच्छे संबंध रखने के लिए जाना जाता है. वह हमेशा भारत के साथ बेहतर संबंध बनाने की पक्षधर रही हैं. दूसरी तरफ बीएनपी का रुख भारत के प्रति सख्त रहा है.
मीडिया रिपोट्स के मुताबकि भारत को यह भी डर है कि अगर चुनाव बीएनपी और जमात-ए-इस्लामी जीतती है तो बांग्लादेश में धार्मिक कट्टरवादा की उभार हो सकता है. चीन भी बांग्लादेश के साथ अपने रिश्ते मज़बूत कर वहां अपने पैर पसारना चाहता है. इसलिए भारत के हित के लिए जरूर है कि बांग्लादेश में नई दिल्ली समर्थक सरकार बने.
बांग्लादेश में नाजुक राजनीतिक हालात
मानवाधिकारों की निगरानी करने वाली एक संस्था के अनुसार, पुलिस ने हजारों विपक्षी कार्यकर्ताओं और हस्तियों को गिरफ्तार किया है. पिछले तीन महीनों में कम से कम 16 लोग मारे गए और हजारों व्यक्ति घायल हो गए. राजनीतिक हिंसा में बसों और ट्रकों सहित दर्जनों वाहनों को आग लगा दी गई.
विपक्ष के सरकार पर गंभीर आरोप
बीएनपी की महिला शाखा की प्रमुख अफरोजा अब्बास ने कहा, ‘पिछले 1-1/2 महीनों में लगभग 100 महिला सदस्यों को गिरफ्तार किया गया है.‘ उनके पति, 74 वर्षीय मिर्जा अब्बास, जो बीएनपी के शीर्ष निर्णय निर्माताओं में से एक हैं, 1 नवंबर से जेल में हैं.
बीएनपी अधिकारियों का आरोप है कि पुलिस ने रात में लगातार छापे मारकर बीएनपी नेताओं और कार्यकर्ताओं के घरों में तोड़फोड़ की है. जबकि पुलिस का कहना है कि उन्होंने केवल हिंसा में शामिल लोगों को गिरफ्तार किया.
क्या कहते हैं जानकार?
बीएनपी ने पिछला चुनाव लड़ा था लेकिन 2014 में मैदान से बाहर रही. न्यूयॉर्क स्थित HRW ने कहा है कि बांग्लादेशियों को फिर से अपने नेताओं को स्वतंत्र रूप से चुनने के अधिकार से वंचित किया जा रहा है.
नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर में इंस्टीट्यूट ऑफ साउथ एशियन स्टडीज के रिसर्च फेलो अमित रंजन ने कहा, ‘हालांकि बांग्लादेश में असहमति का हिंसक दमन आम बात रही है, लेकिन हाल के सरकारी कदम अभूतपूर्व हैं.’ उन्होंने कहा, ‘मौजूदा अवामी लीग नेतृत्व, वे विरोध नहीं चाहता, यहां तक कि विरोध के लिए भी... वे पूरी तरह से देख रहे हैं कि वे सत्ता में कैसे बने रहेंगे.’
बिखरा विपक्ष
सरकारी कार्रवाईयों के बीच विपक्षी नेतृत्व खुद को असमंजस में पाता है. बीएनपी पार्टी अध्यक्ष और पूर्व पीएम खालिदा जिया, सक्रिय राजनीति से दूर हैं. हालांकि उनके बेटे ने अस्थायी रूप से कमान संभाल ली, लेकिन वह भी निर्वासन में है और पार्टी के अगले सबसे वरिष्ठ नेता, मिर्ज़ा फखरुल इस्लाम आलमगीर, 29 अक्टूबर से जेल में हैं.
दूसरी तरफ सड़कों पर मतदाता कहते हैं कि वे निष्पक्ष चुनाव चाहते हैं, लेकिन इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि वे आर्थिक स्थिरता चाहते हैं.
शेख हसीना सरकार का मिला-जुला प्रदर्शन
सत्ता में अपने पिछले 15 वर्षों में, 76 वर्षीय हसीना को अर्थव्यवस्था और विशाल कपड़ा उद्योग के हालात बदलने का श्रेय दिया जाता है. उन्होंने पड़ोसी म्यांमार में उत्पीड़न से भाग रहे रोहिंग्या मुसलमानों को शरण देने के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रशंसा भी हासिल की है.
हालांकि रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद से 170 मिलियन की आबादी वाले देश में ईंधन और खाद्य आयात की कीमतें बढ़ने के बाद से अर्थव्यवस्था तेजी से धीमी हो गई है. देश ने इस वर्ष स्वीकृत 4.7 बिलियन डॉलर के बेलआउट के लिए अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष का रुख किया.
(Photo Courtesy:- @albd1971)