Bangladesh-India Relations: बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने साफ कर दिया है कि उसका देश के राष्ट्रगान 'आमार सोनार बांग्ला' में कोई बदलाव करने का इरादा नहीं है. बांग्लादेश सरकार का यह बयान पड़ोसी मुल्क के एक पूर्व सैन्य अफसर की उस टिप्पणी  के बाद आया है, जिसमें कहा गया था कि 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान रविंद्रनाथ टैगोर के लिखे राष्ट्रगान को भारत ने बांग्लादेश पर थोपा है. 


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अंतरिम सरकार में धार्मिक मामलों के सलाहकार एएफएम खालिद हुसैन ने लोगों को यह भरोसा दिलाया कि मुहम्मद यूनुस सरकार इस तरह की किसी गतिविधि में नहीं पड़ेगी, जिससे बेवजह का विवाद खड़ा हो. 


शुक्रवार को एकता के प्रदर्शन के तौर पर सांस्कृतिक संगठन उदिची शिल्पगोष्ठी ने देश भर में एक कार्यक्रम आयोजित किया, जिसमें नागरिकों ने एक सुर में राष्ट्रगान गाया. ढाका ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रगान के बारे में बढ़ती चर्चा के बीच राष्ट्रीय ध्वज भी फहराया गया और राष्ट्रीय गौरव का जश्न मनाने के लिए देशभक्ति के गीत गाए गए.


क्या है राष्ट्रगान का विवाद?


3 सितंबर को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बांग्लादेश के पूर्व सैन्य अफसर अब्दुल्लाहिल अमान आजमी ने कहा कि राष्ट्रगान आमार सोनार बांग्ला अतीत की निशानी है और स्वतंत्र बांग्लादेश की पहचान को यह नहीं दर्शाता. 


आजमी जमात-ए-इस्लामी के पूर्व नेता गुलाम आजम के बेटे हैं. उन्होंने कहा था कि रविंद्रनाथ टैगोर ने जो राष्ट्रगान लिखा है, वह बंगाल के विभाजन से जुड़ा है और यह आजाद बांग्लादेश के सार के मुताबिक नहीं है.


उन्होंने कहा था, 'यह बंगाल विभाजन और दो बंगाल के विलय के समय को दर्शाता है. दो बंगाल को एकजुट करने के लिए बनाया गया एक राष्ट्रगान एक स्वतंत्र बांग्लादेश का राष्ट्रगान कैसे बन सकता है?" उन्होंने अपने दावे में कहा था, 'यह राष्ट्रगान 1971 में भारत की तरफ से हम पर थोपा गया था'.


उन्होंने कहा था, 'ऐसे कई गीत हैं जो राष्ट्रगान के रूप में काम आ सकते हैं. सरकार को नया राष्ट्रगान चुनने के लिए एक नया आयोग गठित करना चाहिए.'