Bangladesh Protest Update in Hindi: बांग्लादेश में सुप्रीम कोर्ट ने मुक्ति योद्धाओं समेत विभिन्न श्रेणियों में दिए जा रहे आरक्षण को 30 प्रतिशत से घटाकर 7 प्रतिशत पर समेट दिया है. इसके बावजूद वहां पर छात्रों का प्रदर्शन अब भी जारी है. पूरे बांग्लादेश में जगह- जगह आर्मी तैनात है और गलियों में सैनिक गश्त कर रहे हैं. देश के कई हिस्सों में कर्फ्यू लागू है और उल्लंघन करने वालों पर सख्ती की जा रही है. 


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बांग्लादेश छोड़कर भारत लौट रहे छात्र


इसी बीच बांग्लादेश में पढ़ाई कर रहे करीब 300 से ज्यादा छात्र फुलबारी और चांगराबांधा सीमा चौकियों के जरिए भारत वापस आ गए हैं. उनके साथ मालदीव, नेपाल और भूटान के कई छात्र भी अपनी सुरक्षा को देखते हुए बांग्लादेश छोड़कर भारत आ गए हैं. अब वे सभी स्टूडेंट्स इस चिंता में हैं कि उनकी पढ़ाई दोबारा से शुरू हो भी पाएगी या नहीं. 


रविवार को भारत में दाखिल होने वाले छात्रों में 333 भारतीय, 186 नेपाली, 25 भूटानी और एक मालदीवियन छात्र शामिल था. कुल मिलाकर अब तक 4,500 से ज्यादा स्टूडेंट्स भारत वापस आ चुके हैं. 


अपने भविष्य लेकर दिख रहे परेशान


भारत लौटने वाले छात्र अब अपने भविष्य को लेकर परेशान हैं. ऐसे ही एक छात्र अंसारी साकिर ने बताया कि वह पश्चिम बंगाल के उत्तरी दिनाजपुर जिले का रहने वाला है और बांग्लादेश के रंगपुर मेडिकल कॉलेज में पढ़ता है. वहां पर अचानक इंटरनेट शटडाउन की घोषणा हुई. पता चला कि देश में भड़के फसाद की वजह से सरकार ने यह कदम उठाया है. इसके बाद अपनी सुरक्षा को देखते हुए हम हर समय अपने कॉलेज हॉस्टल के दरवाजे बंद रखते थे. कुछ समय बाद हमारे कॉलेज में स्थानीय छात्रों ने आरक्षण के खिलाफ प्रदर्शन शुरू कर दिया. जिस तरीके से हालात अचानक काबू से बाहर हो गए थे, हमें यकीन नहीं हो रहा था कि अपने मुल्क वापस जा पाएंगे. 


अंसारी का कहना है कि अब वे अपने भविष्य को लेकर परेशान हैं. समझ नहीं आ रहा है कि क्या उनकी पढ़ाई दोबारा शुरू हो पाएगी. उनके जैसी ही कहानी असम के मुस्तफिजुर रहमान की भी है. उन्होंने बताया कि बांग्लादेश में हालात अच्छे नहीं है. भारत वापस आने के लिए हमने चंगराबांधा सीमा पर छह घंटे की यात्रा की. कई छात्र जिनका वीज़ा ख़त्म हो रहा है, वे भी वापस आने की कोशिश कर रहे हैं.”


छात्रों को उनके घरों तक पहुंचाया जा रहा


अपने नागरिकों को बांग्लादेश से निकालने के लिए भारत सरकार और पश्चिम बंगाल सरकार दोनों मिलकर काम कर रही हैं. इसके लिए बांग्लादेश में भारतीय उच्चायोग लगातार स्थानीय अधिकारियों के संपर्क में है. भारतीय छात्रों को नजदीक की भारतीय सीमा चौकी तक पहुंचाने और फिर वहां से उन्हें उनके घरों तक भेजने की व्यवस्था की जा रही है. 


बताते चलें कि बांग्लादेश के प्रदर्शनकारी छात्र शेख हसीना के नेतृत्व वाली सरकार से विवादास्पद नौकरी-कोटा प्रणाली को खत्म करने की मांग कर रहे हैं. ढाका से प्राप्त रिपोर्टों के अनुसार, कुछ हफ़्ते पहले हुई झड़पों में 100 से अधिक लोग मारे गए हैं, हालाँकि मरने वालों की सही संख्या अभी तक स्पष्ट नहीं है.