वाशिंगटन : अमेरिका के एक शीर्ष विशेषज्ञ ने कहा है कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार का एक साल उदारीकरण और आर्थिक सुधारों के संदर्भ में भारत के सबसे बेहतरीन वर्षों में शामिल है।


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प्रमुख थिंकटैंक ‘सेंटर फॉर स्ट्रैटजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज’ में वरिष्ठ शोधार्थी रिक रोसोव ने कहा, हम यह दावा नहीं कर सकते है कि यह उदारीकरण और अर्थव्यवस्था के संदर्भ में बिल्कुल सटीक साल रहा है, लेकिन यह बेहतरीन वषरें में से एक जरूर है। यह निश्चित तौर पर वाजपेयी अथवा मनमोहन सिंह की सरकार के पहले वर्ष से आगे है।


भारत में व्यापार नीतियों पर सुनवाई कर रहे अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय व्यापार आयोग के समक्ष उपस्ति रोसोव ने कहा, यद्यपि हम कह सकते हैं कि भावी प्रभाव को ध्यान में रखते हुए व्यापक रूप से मुख्य ध्यान आर्थिक सुधारों पर रहा है लेकिन उन मुद्दों पर कम ध्यान दिया गया जो पहले निवेशकों के समक्ष चिंता पैदा करते रहे हैं। उन्होंने दलील दी कि मोदी सरकार ने विदेशी निवेश के लिए नए क्षेत्रों को तेजी से खोलने और उन कुछ दूसरे नीतिगत बदलाव के लिए बेहतरीन काम किया है जो विदेशी निवेशकों पर सकारात्मक प्रभाव डालने वाले हैं।


रोसोव ने कहा कि फरवरी, 2015 के आखिर में 12 महीनों का विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) 32.5 अरब डॉलर था जो इसके पहले के 12 महीनों की अवधि के एफडीआई से 38 फीसदी अधिक था। उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काफी उंचा लक्ष्य तय कर रखा है। वह चाहते हैं कि भारत विश्व बैंक के ‘डूइंग बिजनेस’ सूचकांक में 142वें से 50 वें स्थान पर पहुंचे।