बोइंग व्हिसलब्लोअर जोशुआ डीन (Joshua Dean) का पिछले हफ्ते निधन हो गया. उन्होंने बोइंग 737 मैक्स (Boeing 737 MAX) प्लेन की मैन्यूफैक्चरिंग खामियों का खुलासा किया था. द गार्डियन के मुताबिक वह दूसरे बोइंग व्हिसलब्लोअर हैं जिनकी इस साल मौत हुई है.


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सिएटल टाइम्स के अनुसार, सांस लेने में दिक्कत के बाद डीन को अस्पताल में भर्ती कराया गया था. जिसके बाद उनकी हालत बिगड़ गई. उन्हें निमोनिया और गंभीर इनफेक्शन हो गया. निधन से पहले वह करीब दो सप्ताह तक अस्पताल में भर्ती रहे.


डीन की चाची ने फेसबुक पर दी सूचना
डीन की चाची कैरोल डीन पार्सन्स ने 1 मई को फेसबुक पर लिखा, 'कल सुबह उनका निधन हो गया, और उनकी अनुपस्थिति को गहराई से महसूस किया जाएगा. हम आपको हमेशा प्यार करेंगे जोश.'


डीन पिछले साल नौकरी से निकाल दिया गया था
45 वर्षीय डीन बोइंग सप्लायर स्पिरिट एयरोसिस्टम्स (Spirit AeroSystems) के पूर्व क्वालिटी ऑडिटर थे. उन्होंने स्पिरिट में '737 प्रॉडक्शन लाइन' के सीनियर क्वालिटी मैनेजमेंट पर गंभीर आरोप लगाते हुए फेडरल एविएशन एमिनिस्ट्रेशन (एफएए) के पास एक शिकायत दर्ज की थी.


डीन को पिछले साल स्पिरिट ने निकाल दिया था. उन्होंने इसके खिलाफ श्रम विभाग में शिकायत यह कहते हुए दर्ज करवाई थी कि उनकी बर्खास्तगी सुरक्षा चिंताओं को उठाने की वजह से की गई है.


द गार्डियन की रिपोर्ट के मुताबिक 2018 और 2019 में, दो 737 मैक्स प्लेन घातक दुर्घटनाओं का शिकार हुए, जिसमें 346 लोग मारे गए थे.


मार्च में मृत पाए व्हिसलब्लोअर बार्नेट
डीन का प्रतिनिधित्व वही लॉ फर्म कर रही थी जिसने बोइंग व्हिसलब्लोअर जॉन 'मिच' बार्नेट का प्रतिनिधित्व किया था. 62 वर्षीय बार्नेट मार्च में मृत पाया गया था. ऐसा बताया जाता है कि उनके शरीर में खुद को मारी गई बंदूक की गोली का घाव था.


बार्नेट ने बोइंग में लगभग तीन दशक बिताए थे. उन्होंने 2019 में न्यूयॉर्क टाइम्स को बताया कि उन्हें फ्लाइट कंट्रोल के तारों पर लटके हुए ‘क्लस्टर या धातु के टुकड़े’ मिले थे, जो तारों में घुसने पर ‘भयावह’ नुकसान की वजह बन सकते थे। उन्होंने आरोप लगाया कि मैनेजमेंट ने उनकी शिकायतों को नजरअंदाज कर दिया और उन्हें प्लांट के दूसरे हिस्से में ट्रांसफर कर दिया।


द गार्डियन की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले महीने, एक अन्य बोइंग व्हिसलब्लोअर, सैम सालेहपुर ने कांग्रेस को बताया था कि बोइंग में 'कोई सेफ्टी कल्चर नहीं' था. उन्होंने आरोप लगाया कि जिन कर्मचारियों ने आवाज उठाई उन्हें 'नजरअंदाज़ किया गया, हाशिए पर रखा गया, धमकाया गया, दरकिनार किया गया और इससे भी बदतर.' उन्होंने कहा कि अपनी चिंताओं को सार्वजनिक करने के बाद उन्हें 'शारीरिक हिंसा' का डर है.