Missile Test: आज खुश तो बहुत होंगे पुतिन... नॉर्थ कोरिया से भी कमजोर हुआ ब्रिटेन? बस दो कदम चली न्यूक्लियर मिसाइल
Britain Trident Missile Test: ऐसे समय में जब मिडिल ईस्ट में तनाव है, समंदर में अमेरिका की अगुआई में नाटो देश हूती विद्रोहियों, ईरान और रूस के खिलाफ अपनी ताकत दिखा रहे हैं, ब्रिटेन का परमाणु मिसाइल टेस्ट फेल हो गया है. इसका क्या मतलब है और इससे दुनिया में क्या संदेश जाएगा?
Britain Nuclear Power: एक समय आधी दुनिया पर राज करने वाले इंग्लैंड के बारे में कहा जाता था कि इसका सूरज कभी अस्त नहीं होता है. आज उसी इंग्लैंड को दुनिया में शर्मिंदगी उठानी पड़ रही है. दरअसल, आज के समय में परमाणु हथियारों को ताकत का पैमाना माना जाता है. भारत, अमेरिका, रूस, नॉर्थ कोरिया और ब्रिटेन जैसे कुल 9 देशों के पास परमाणु हथियार हैं लेकिन 8 साल में दूसरी बार यूके का न्यूक्लियर मिसाइल टेस्ट फेल हो गया है. यूके के एक पूर्व नेवी कमांडर ने साफ कहा कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन जरूर आज हंस रहे होंगे. ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या आज के समय में अंग्रेजों का देश नॉर्थ कोरिया से भी कमजोर हो गया है?
रूस vs अमेरिका गुट की पावर
आज का वर्ल्ड ऑर्डर देखें तो ब्रिटेन अमेरिका की अगुआई वाले गुट में शामिल है. ये NATO देश रूस की चुनौती से निपटने के लिए ही एक साथ आए थे लेकिन जिस तरह ब्रिटेन का ट्राइडेंट मिसाइल टेस्ट समंदर में लड़खड़ा कर धुआं-धुआं हो गया, उसने बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है. यूके की मिसाइल पनडुब्बी से तो निकली लेकिन आसमान में ज्यादा दूर नहीं जा सकी. उसके 18 मिलियन डॉलर से ज्यादा बर्बाद हो गए. इससे पहले 2016 में भी यूके की परमाणु मिसाइल का टेस्ट मिसफायर हुआ था.
उड़ी और समंदर में गिर गई
'डेली मेल' की रिपोर्ट के मुताबिक 30 जनवरी को फ्लोरिडा के तट पर HMS वैनगार्ड सबमरीन के क्रू ने ड्रिल शुरू की. ट्राइडेंट 2 मिसाइल आसमान में दिखी लेकिन उसके पहले चरण के बूस्टर ने काम नहीं किया और 58 टन वजनी मिसाइल झट से समंदर में दफन हो गई. देखने वालों को शायद बच्चों के रॉकेट जैसा फील आया होगा. माना जा रहा है कि समस्या मिसाइल से जुड़े उपकरण में थी, जिसने रॉकेट सिस्टम को फायर होने से रोक दिया.
जंग छिड़ जाए तो...
अब अंग्रेज अधिकारी दावा कर रहे हैं कि अगर लड़ाई के समय मिसाइल फायर की जाती तो समस्या नहीं आती क्योंकि टेस्टिंग उपकरण उससे जुड़ा नहीं होता. सेना से जुड़े लोग कह रहे हैं कि असल में अगर हमें फायर करने की जरूरत पड़ी तो यह फायर होगी इसमें कोई शक नहीं है. हालांकि दुनिया जानती है कि असली लड़ाई से पहले देश ऐसे ही टेस्ट से अपनी ताकत दिखाते और बढ़ाते हैं.
कमजोर स्थिति में ब्रिटेन
हां, एक पूर्व नेवी कमांडर ने पुतिन का नाम लेते हुए कहा कि रक्षा मंत्रालय बता रहा है कि यह टेस्ट से जुड़ा मसला था, युद्ध का नहीं लेकिन आज पुतिन खुश होंगे. फिलहाल रॉयल नेवी मजबूत स्थिति में नहीं दिख रही है.
ब्रिटिश सेना के पूर्व कमांडर कर्नल रिचर्ड केंप ने कहा, 'यह शर्मिंदगी से भी बदतर है. यह हमारे अपने डेटरेंस को कमजोर दिखाता है.' उन्होंने साफ कहा कि ब्रिटिश न्यूक्लियर डेटरेंस हमारी सुरक्षा का आधार है और अगर इसे सार्वजनिक रूप से फेल होते देखा जाता है तो यह व्यापक रूप से हमारी पावर को कम कर देता है.
ब्रिटेन के लिए क्यों टेंशन की बात?
उन्होंने आगे कहा कि दूसरे विश्व युद्ध के बाद यह सबसे खतरनाक दौर है. परमाणु संपन्न रूस और चीन से हमें चुनौतियां मिल रही हैं. ईरान भी लगभग परमाणु ताकत हासिल कर ही चुका है. ऐसे में ब्रिटेन का फेल होना बहुत दुखद है. पूर्व ब्रिटिश सैन्य अधिकारी ने कहा कि हमें पारंपरिक और परमाणु ताकत दोनों तरीके से मजबूत दिखना चाहिए. छोटी सेना होने के कारण हमारी पारंपरिक ताकत दुश्मन पर कोई असर नहीं डाल सकती और अब... ऐसे में अगर हमारी परमाणु ताकत घटती है तो हम बहुत कमजोर स्थिति में होंगे.
पूर्व ब्रिटिश आर्मी चीफ लॉर्ड डैनेट ने कहा कि टेस्ट का फेल होना पूरे देश के लिए शर्मिंदगी की बात है. ऐसे में समझा जा सकता है कि ब्रिटेन की तुलना नॉर्थ कोरिया से क्यों हो रही है.