दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में चुनाव का महापर्व मनाया जा रहा है, लेकिन दुनिया के कुछ देशों को भारत के खिलाफ मुहिम चलाने की जैसे आदत सी बन गई  है. भारत भी इनकी हरकतों पर जमकर जवाब दे रहा है. कनाडा की एक रिपोर्ट में बेवजह का आरोप लगाया गया कि वहां के चुनाव में भारत दखलअंदाजी करता है. एक बार फिर कनाडा के इस आरोप पर भारत न करारा जवाब दिया है.


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भारत में जब भी कुछ अच्छा हो रहा होता है, कनाडा के पेट में दर्द होना शुरू हो जाता है. भारत के अंदरुनी मामलों में दखल देना मानो कनाडा की आदत बन चुका है. इसलिए भारत भी हर बार की तरह कनाडा और उसके प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को आईना दिखाने में देरी नहीं करता है. 


भारत पर कनाडा ने लगाया था आरोप


दरअसल कनाडा ने भारत समेत कई देशों पर बड़ा आरोप लगाया था और कहा था कि भारत ने कनाडा में हुए चुनावों में हस्तक्षेप करने की कोशिश की थी. इस आरोप का भारत ने सिरे से खारिज करते हुए कनाडा को करारा जवाब दिया है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, 'कनाडा ने हम पर आरोप लगाया कि भारत ने उनके चुनावों में दखल दिया. यह आरोप बेबुनियाद है. दूसरे देशों की लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में दखल देना भारत सरकार की नीति नहीं है. यह कनाडा ही है जो हमारे आंतरिक मामलों में दखल दे रहा है.'


वैसे इन दिनों भारत में लोकतंत्र का महापर्व मनाया जा रहा है. कनाडा के पीएम ट्रूडो की समस्या क्या है, ये तो वही बता सकते हैं. लेकिन इस तरह के लग रहे मनगढ़ंत आरोपों पर जानकार मानते हैं कि कनाडा भारत से रिश्ते सुधारने की बजाए बिगाड़ने की नई-नई कहानी गढ़ रहा है. 


आखिर क्या है मामला?


दरअसल, पिछले साल सितंबर में सामने आई एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि कनाडा में 2019 और 2021 में हुए 2 संघीय चुनाव में हुए थे. इन चुनावों में विदेशी दखल को लेकर एक जांच बैठाने के लिए इंडिपेंडेंट कमीशन बनाया गया. कमीशन ने बताया था कि उन्होंने ट्रूडो सरकार से इन चुनावों में भारत के तथाकथित दखल से जुड़े दस्तावेज पेश करने को कहा है.


इसके अलावा कमीशन इस बात की भी जांच करेगा कि पूरे मामले की सरकार को कितनी जानकारी थी और इस पर क्या कदम उठाए गए.


वैसे कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो खुद भी भारत पर पहले भी कई तरह के उट-पटांग आरोप लगाते आए हैं. आतंकी निज्जर की हत्या 18 जून 2023 को कनाडा में हुई थी. इसके बाद सितंबर में PM ट्रूडो ने भारत पर इसका आरोप लगाया था. उनकी सरकार ने भारत के एक सीनियर डिप्लोमैट को देश से निकाल दिया था. 


दोनों देशों के बीच थम नहीं रहा विवाद


इसके बाद से भारत-कनाडा के बीच विवाद बढ़ता चला गया. हालांकि, बाद में ट्रूडो ने खुद कई बार भारत से रिश्ते बनाए रखने की बात कही थी. लेकिन भारत पहले कनाडा को कई बार खरी-खरी सुना चुका है. हाल ही में जिस तरह से यूएन, कनाडा और अमेरिका भारत के चुनावी माहौल में खलल डालने की कोशिश कर रहे हैं. जानकारों के मुताबिक ये कोई सोची-समझी भारत के खिलाफ दुश्प्रचार भी हो सकता है.


वैसे पिछले साल कनाडा के चुनाव में दखल से जुड़ी जो रिपोर्ट सामने आई थी, उसमें खास तौर से चीन का नाम लेते हुए कहा गया था कि चीन ने 2019 के चुनावों में 11 उम्मीदवारों का समर्थन किया था. एक मामले में 2.5 लाख डॉलर से ज्यादा दिए गए थे. चुनाव में दखल के मामले में भारत और चीन के अलावा रूस का भी नाम है. कनाडाई मीडिया के मुताबिक कमीशन 3 मई तक पहली जांच रिपोर्ट पेश कर सकता है. फाइनल रिपोर्ट साल के आखिर तक आएगी.