नई दिल्ली: साउथ चाइना सी (South China Sea) में चीन (China) और अमेरिका (America) के बीच का तनाव अब तेजी से टकराव की तरफ बढ़ रहा है, ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि चीन ने अब दक्षिण चीन सागर में अपने सबसे शक्तिशाली बमवर्षक विमान के साथ युद्धाभ्यास किया है. जबकि अमेरिका ने एक बयान में कहा है कि चीन के दूतावास जासूसी की गुफाएं हैं.


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अमेरिका ने साउथ चाइना सी में दो हफ्ते पहले युद्धपोट निमित्ज के साथ अभ्यास किया था जिसका जवाब अब चीन की तरफ से आया है. चीन ने  H-6G और H-6J शक्तिशाली बॉम्बर के साथ अभ्यास किया.


H-6K दरअसल शियान एच-6 का एक बहुत बदला हुआ संस्करण है जो एयर-लॉन्च क्रूज मिसाइलों को ले जाने में सक्षम है. H-6K की मारक क्षमता 3,520 किलोमीटर तक बताई जाती है. जिसकी वजह से पूरा साउथ ईस्ट एशिया का इलाका उसकी जद में आता है.


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चीन ने पिछले साल जिस गैर परमाणु बम का परीक्षण किया था और मदर ऑफ ऑल बम करार दिया था, वो बम चीन ने H-6k जहाज से गिराया था. और अब चीन ने साउथ चाइना सी में इन्हीं विमानों यानी H-6G और H-6J बॉम्बर के अभ्यास से अमेरिका को इशारा दिया है कि वो उसके युद्धपोतों पर हमला करने की ताकत रखता है.



वहीं PLA के रिटायर्ड नेवल अधिकारी वॉन्ग युनफेई ने ये कहकर हैरान कर दिया कि डोनल्ड ट्रंप दोबारा चुनाव जीतने के लिए चीन पर हमला कर सकते हैं. जबकि अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया ने भी दक्षिण चीन सागर में चीन के के दावों को गैरकानूनी और नाजायज घोषित किया है.


माइक पॉम्पियो ने कहा कि10 आसियान देशों ने जोर देकर कहा है कि दक्षिण चीन सागर विवादों को अंतरराष्ट्रीय कानून के आधार पर सुलझाया जाना चाहिए. जापान ने जी 7 की बैठक मे हांगकांग में लागू किए गए चीन के राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के निंदा प्रस्ताव का नेतृत्व किया. यूरोपीय संघ ने भी कानून की निंदा की और चीन को सिस्टमेटिक प्रतिद्वंदी घोषित किया है.


दरअसल चीन भी जानता है कि दक्षिण चीन सागर में अब उसकी घेराबंदी की जा रही है. चीन दबाव में है और ये दबाव अच्छा है.


ब्यूरो रिपोर्ट ज़ी मीडिया