संयुक्त राष्ट्र/जेनेवा: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के महानिदेशक टेड्रोस अदहानोम गेब्रेयेसस ने आगाह किया कि दुनिया कोविड-19 महामारी के बेहद ‘खतरनाक दौर’ में है जिसके डेल्टा जैसे वैरिएंट अधिक संक्रामक हैं और वक्त के साथ लगातार बदल रहे हैं.


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वहीं दक्षिण अफ्रीका के विशेषज्ञों का कहना है कि डेल्टा वैरिएंट पर फाइजर और जॉनसन एंड जॉनसन के टीके ज्यादा असरदार हैं.


फिर से बढ़ने लगी मरीजों की संख्या 


विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक टेड्रोस अदहानोम गेब्रेयेसस ने कहा कि जिन देशों की कम आबादी को टीके लगे हैं वहां अस्पतालों में फिर से मरीजों की संख्या बढ़ने लगी है.


उन्होंने कहा, ‘डेल्टा जैसे वैरिएंट अधिक संक्रामक है और कई देशों में यह फैल रहा है। इसी के साथ ही हम इस महामारी के बहुत खतरनाक दौर में हैं.’


गेब्रेयसस ने कहा, ‘कोई भी देश अभी तक खतरे से बाहर नहीं है. डेल्टा वैरिएंट खतरनाक है और यह वक्त के साथ और बदल रहा है जिस पर लगातार नजर रखने की जरूरत है.’


उन्होंने कहा कि डेल्टा वैरिएंट कम से कम 98 देशों में पाया गया है और उन देशों में तेजी से फैल रहा है जहां कम और ज्यादा टीकाकरण हुआ है.



डब्ल्यूएचओ महानिदेशक ने कहा कि मास्क लगाना, सामाजिक दूरी, भीड़भाड़ वाली जगहों से बचना और घरों को हवादार रखने की की पर्याप्त व्यवस्था अहम है. उन्होंने दुनियाभर के नेताओं से अनुरोध किया कि वे एक साथ मिलकर यह सुनिश्चित करें कि अगले साल तक हर देश की 70 प्रतिशत आबादी को कोविड-19 रोधी टीका लग जाए.


बता दें कि डब्ल्यूएचओ ने इस हफ्ते कहा था कि सबसे पहले भारत में पहली बार पाया गया डेल्टा स्वरूप अब करीब 100 देशों में पाया जा रहा है.


डेल्टा वैरिएंट पर ये टीके ज्यादा असरदार


दक्षिण अफ्रीका में इस्तेमाल किए जा रहे अमेरिकी कंपनियों फाइजर और जॉनसन एंड जॉनसन के टीके कोरोना वायरस के बीटा वैरिएंट की तुलना में डेल्टा वैरिएंट पर अधिक असरदार हैं. विशेषज्ञों ने इस बारे में बताया.


बीटा वैरिएंट सबसे पहले दक्षिण अफ्रीका में सामने आया था, जो इस साल की शुरुआत में दक्षिण अफ्रीका में कोविड-19 की दूसरी लहर का कारण बना. डेल्टा वैरिएंट का मामला सबसे पहले भारत में सामने आया और इसके कारण दक्षिण अफ्रीका में महामारी की तीसरी लहर चल रही है. इसके मद्देनजर लॉकडाउन और पाबंदियां बढ़ा दी गई हैं. 


दक्षिण अफ्रीका के कार्यवाहक स्वास्थ्य मंत्री ममामोलोको कुबायी ने शुक्रवार को बताया कि विशेषज्ञों का कहना है कि प्रयोगशाला में अनुसंधान और क्षेत्र अध्ययन दोनों के आधार पर यह पता चला है कि ये टीके वायरस के डेल्टा वैरिएंट पर कारगर हैं.


दक्षिण अफ्रीका चिकित्सा अनुसंधान परिषद की अध्यक्ष और सीईओ प्रोफेसर ग्लेंडा ग्रे ने कहा, ‘हमने पाया है कि जे एंड जे का टीका डेल्टा वैरिएंट पर बेहतर असर करता है और जहां तक डेल्टा और बीटा वैरिएंट की बात है तो यह बीटा वैरिएंट की तुलना में डेल्टा पर अधिक कारगर है.’


एक खुराक भी उतनी ही असरदार 


ग्रे ने कहा कि जे एं जे टीके की बूस्टर खुराक लेने की भी आवश्यकता नहीं है. अब तक के अध्ययनों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इस दौरान स्वास्थ्यकर्मियों को दी गई टीके की दो खुराक की तुलना में एक खुराक भी उतनी ही असरदार थी.


विटवाटरसैंड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर पेन्नी मूर ने कहा कि मौजूदा आंकड़े दर्शाते हैं कि दक्षिण अफ्रीका में वर्तमान में इस्तेमाल टीके बीटा वैरिएंट की तुलना में डेल्टा वैरिएंट पर अधिक असरदार है. फाइजर के टीके से एंटीबॉडी का अधिक निर्माण हुआ जबकि एस्ट्राजेनेका के साथ ऐसा नहीं था. आंकड़े दर्शाते हैं कि एस्ट्राजेनेका का टीका बीटा वैरिएंट पर अधिक कारगर नहीं रहा, लेकिन अगर डेल्टा वैरिएंट की बात करें तो फाइजर का टीका वायरस के इस वैरिएंट पर भी असरदार रहा.