नई दिल्ली: आज हम आपको भारत के किसानों की वो शक्ति दिखाते हैं जिसे चीन ने भी स्वीकार कर लिया है. दुनिया में अपनी ताक़त का ज़ोर दिखाने वाले चीन में अनाज की कमी हो गई है. अपने लोगों का पेट भरने के लिए चीन ने भारत से 9 करोड़ किलोग्राम चावल आयात किया है और ऐसा 30 वर्षों में पहली बार हुआ है. यानी चीन, सीमा पर हमसे लड़ता है पर अपने नागरिकों की भूख मिटाने के लिए अब वो भारत पर ही निर्भर है. चीन को अनाज के मोर्चे पर झुकाने की ये ताक़त हमें किसानों से मिली है. हमारे किसान सीमा पर तो नहीं लड़ते, लेकिन दुश्मन के सामने देश को मज़बूत बनाते हैं.


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- भारत दुनिया में सबसे ज़्यादा चावल का निर्यात करता है और चीन दुनिया का सबसे बड़ा आयातक है. हालांकि अब तक चीन ने भारत के चावल को कम गुणवत्ता का बताकर, उसका आयात नहीं किया था.


- अब भारतीय व्यापारियों ने चीन को 9 करोड़ किलोग्राम चावल निर्यात करने का समझौता किया है. जिसकी कीमत लगभग 221 करोड़ रुपए है.


- चीन की आबादी लगभग 143 करोड़ है. लेकिन उसके किसान पर्याप्त अनाज पैदा नहीं कर पाते इसलिए चीन हर वर्ष करीब 400 करोड़ किलोग्राम चावल का आयात करता है.



इस समय चीन की ज़रूरत सस्ता अनाज
चीन के लोग खाने में चावल या उससे बने Chinese Noodles का बहुत इस्तेमाल करते हैं. चीन में हर 4 में से 3 लोगों के लिए चावल ही प्रमुख भोजन है. इसलिए चीन ज़्यादा मात्रा में चावल का आयात करता है. भारत के किसान, कम लागत में ज़्यादा चावल पैदा करते हैं, जिससे हम दुनिया में सस्ता चावल बेच पाते हैं और इस समय चीन की ज़रूरत सस्ता अनाज है.


चावल आयात करने के लिए चीन अब तक थाईलैंड, वियतनाम, म्यांमार और पाकिस्तान जैसे देशों पर निर्भर था. लेकिन कोरोना संक्रमण के बाद अनाज संकट के डर से दुनिया के कई देशों ने इसके निर्यात पर रोक लगा दी है और इस फ़ैसले से सबसे ज़्यादा समस्या चीन को हो रही है.


सिर्फ भारत ही नहीं, पिछले एक वर्ष में अमेरिका से चीन ने 40 हजार करोड़ रुपये से ज़्यादा का अनाज आयात किया है. इस समय चीन और अमेरिका के बीच संबंध ठीक नहीं हैं यानी आप समझ सकते हैं कि चीन के लिए मुश्किलें कितनी बढ़ गई हैं.


एक तरफ चीन दुनिया भर से चावल का आयात कर रहा है. लेकिन चीन के सरकारी अखबार Global Times ने इस वर्ष चावल की शानदार फसल होने का दावा किया है. अगर चीन में चावल की फसल इतनी अच्छी हुई है तो फिर चीन लगातार चावल का आयात क्यों कर रहा है. यानी चीन Propaganda फैलाकर अपने देश के अनाज संकट को छिपाना चाहता है.


अनाज संकट का सच
कुछ समय पहले चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने चीन के नागरिकों से कहा था कि वो खाना बर्बाद न करें. शी जिनपिंग ने चीन के लोगों से कहा कि अगर उन्हें रेस्टोरेंट में 4 प्लेट खाने की ज़रूरत हो तो वो सिर्फ 3 प्लेट खाना ही ऑर्डर करें. अनाज की बर्बादी वैसे किसी भी देश के लिए ठीक नहीं है. लेकिन चीन के राष्ट्रपति की इस अपील के पीछे असल मकसद अनाज संकट का सच छिपाना था.


चीन की सरकार को डर है कि अगर अनाज संकट के बारे में वहां की जनता को पता चल गया तो चीन में दंगे भड़क सकते हैं और शी जिनपिंग की सत्ता को ख़तरा हो सकता है.



संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक दुनिया में एक बड़ा अनाज संकट शुरू होने वाला है और संभव है कि चीन में ये अनाज संकट शुरू हो चुका है.


भारत से चावल आयात करना चीन के लिए कोई छोटा फैसला नहीं
कुल मिलाकर भारत से चावल आयात करना चीन के लिए कोई छोटा फैसला नहीं है. आप समझ सकते हैं कि भारत से चावल आयात करने का फ़ैसला लेने में चीन को कितनी दिक्कत हुई होगी. भारत की सरकार लगातार चीन की कंपनियों के मोबाइल एप्स पर प्रतिबंध लगा रही है. चीन से सामान आयात करने के बदले भारतीय कंपनियों के सामान को बढ़ावा दे रही हैं और 6 महीने से ज्यादा समय से भारत की सेना, चीन को चुनौती दे रही है. लेकिन अब चीन अपनी जनता का पेट भरने के लिए भारत से ही मदद ले रहा है.


इस बीच अमेरिका की एक कमेटी ने कहा है कि गलवान घाटी में इसी वर्ष 15 जून को हमले के लिए चीन की सरकार ने पूरी तैयारी की थी. यानी चीन की सेना ने जानबूझकर गलवान घाटी में हिंसा की थी.