DNA on Earthquake in Afghanistan: अफगानिस्तान (Afghanistan) में बुधवार सुबह आए विनाशकारी भूकंप में एक हजार से ज्यादा लोग मर गए. अब समस्या ये है कि तालिबान लोगों को मारना तो जानता है लेकिन मरते हुए लोगों को बचाना उसे नहीं आता. ऐसे में अब अफगानिस्तान के आम लोगों का क्या होगा, यह सबसे बड़ा सवाल है.


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अफगानिस्तान के खोस्त शहर में आया भूकंप


इस भूकंप का केन्द्र अफगानिस्तान (Earthquake in Afghanistan) के खोस्त शहर से 44 किलोमीटर दूर दक्षिण पश्चिम इलाके में बताया गया है. Richter scale (रिक्टर स्केल) पर इस भूकंप की तीव्रता सात दशमलव एक थी. यानी ये भूकंप काफी ताकतवर था. इसके झटके अफगानिस्तान, पाकिस्तान और उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में भी महसूस किए गए. हालांकि इस भूकम्प से सबसे ज्यादा तबाही अफगानिस्तान में हुई है, जहां अब तक एक हजार लोग मर चुके हैं और दो हजार से ज्यादा लोगों के घायल होने की खबर है. ये आंकड़ा अभी बढ़ भी सकता है.



भूकंप से सबसे ज़्यादा नुकसान अफगानिस्तान (Afghanistan) के पूर्वी प्रांतों में हुआ है. जहां ग्रामीण इलाके ज्यादा हैं. इन इलाक़ों में मिट्टी के घर होते हैं, जो भूकंप के झटके सह नहीं पाते. इसीलिए अफगानिस्तान से विचलित करने वाली तस्वीरें आ रही हैं.


अस्पतालों में डॉक्टरों की भारी कमी


अफगानिस्तान (Afghanistan) में इस समय तालिबान की सरकार है और तालिबान ने आज तक लोगों की सिर्फ़ जान ली है. जान बचाने का अनुभव उसके पास है ही नहीं. इसीलिए अफगानिस्तान में राहत और बचाव का काम अब तक पूरी तरह से शुरू नहीं हो पाया है और जो लोग घायल हैं, उन्हें भी उपचार नहीं मिल पा रहा है. अफगानिस्तान के ज्यादातर अस्पतालों में डॉक्टरों की संख्या भी कम है. बहुत सारे डॉक्टर पिछले साल ही अफगानिस्तान छोड़ कर भाग गए थे, जब तालिबान ने काबुल पर कब्जा किया था.


अफगानिस्तान (Afghanistan) में इससे पहले इतना ताकतवर भूकंप (Earthquake in Afghanistan) वर्ष 1998 में आया था. उस समय चार हजार से ज्यादा लोग इसमें मारे गए थे. इत्तेफाक की बात ये है कि तब भी अफगानिस्तान में तालिबान का शासन था और वो उस समय भी अपने लोगों की कोई मदद नहीं कर पाया था.


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अफगानिस्तान में आपदा राहत का सिस्टम नहीं बना


अफगानिस्तान (Afghanistan) का दुर्भाग्य ये है कि, पिछले लगभग 50 वर्षों से ये देश युद्ध की आग में जल रहा है. पहले सोवियत संघ का इस पर नियंत्रण था. फिर 9/11 हमले के बाद अमेरिका ने अपनी यहां सेना भेज दी और 20 वर्षों तक अफगानिस्तान को युद्धक्षेत्र बना कर रखा. अब एक बार फिर से अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार का शासन है. यानी इन 50 वर्षों में अफगानिस्तान को प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए एक सिस्टम तैयार करना था, लेकिन वो इन युद्धों की वजह से ऐसा नहीं कर सका.