वाशिंगटन/संयुक्त राष्ट्र: मीडिया लोगों के लिए दुश्मन है या नहीं इस बात पर अमेरिकी राष्ट्रपति और उनकी बेटी इवांका ट्रंप द्वारा अलग-अलग विचार दिये जाने के बाद ट्रंप ने मामले के प्रभाव को कम करने की कोशिश की. उन्होंने आज कहा कि पूरा मीडिया नहीं बल्कि ‘फर्जी खबरें’ लोगों की दुश्मन हैं और मीडिया का एक बड़ा हिस्सा फर्जी खबरें दिखाता है.


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गौरतलब है कि राष्ट्रपति बनने के बाद से ही ट्रंप लगातार मीडिया की आलोचना करते रहे हैं. उन्होंने पत्रकारों को ‘लोगों का दुश्मन’ बताया जिसके बाद उनकी चौतरफा आलोचना की जा रही है. एक कार्यक्रम के दौरान इवांका से पूछा गया था कि वह अपने पिता द्वारा ‘मीडिया को बार-बार लोगों का दुश्मन बताये जाने के बारे में क्या सोचती है? उन्होंने कहा था नहीं. मुझे नहीं लगता कि मीडिया लोगों का दुश्मन है.


ट्रंप की वरिष्ठ सलाहकार इवांका ने कहा था, मेरे बारे में काफी कुछ लिखा गया है, और मैं जानती हूं कि उसमें सबकुछ सच नहीं है. ऐसे में मुझे समझ आता है कि लोग चिंतित क्यों होते हैं और वह ऐसा क्यों समझते हैं कि उन्हें निशाना बनाया जा रहा है. इंवाका की इस टिप्पणी के बाद माना जा रहा था कि इस संबंध में पिता-पुत्री के विचार अलग-अलग हैं.


हालांकि, कुछ ही घंटों बाद ट्रंप ने ट्वीट कर इसे स्पष्ट किया. राष्ट्रपति ने ट्वीट किया है कि उन्होंने मेरी बेटी इवांका से पूछा कि मीडिया लोगों का दुश्मन है या नहीं. उसने बिलकुल सही कहा 'नहीं'. फर्जी खबरें लोगों की दुश्मन हैं जो मीडिया के बड़े हिस्से द्वारा दिखायी जाती हैं.


वहीं, जब व्हाइट हाउस के संवाददाता सम्मेलन में पिता-पुत्री के बयानों के संबंध में सवाल किया गया, तो प्रेस सचिव सारा सैंडर्स ने राष्ट्रपति के बयान को खारिज करने से इनकार कर दिया. सैंडर्स ने कहा, राष्ट्रपति का गुस्सा एकदम सही है. अर्थव्यवस्था फल-फूल रही है, आईएसआईएस अपनी जान बचाकर भाग रही है, अमेरिकी नेतृत्व को पूरी दुनिया मान रही है, इसके बावजूद उनके बारे में 90 प्रतिशत खबरें नकारात्मक आती हैं.


वहीं, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की वकालत करने वाली संस्थाओं ने ट्रंप द्वारा मीडिया की आलोचनाओं किए जाने की निंदा की है. इंटर-अमेरिकन कमीशन ऑन ह्यूमन राइटस के एडिसन लांजा और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत डेविड काये का कहना है कि ये हमले रणनीतिक हैं, जिनका लक्ष्य रिपोर्टिंग के प्रति आम लोगों के विश्वास को कम करना और पुष्ट तथ्यों पर भी शंका पैदा करना है.