Donald Trump Green Card Statement: अब तक दूसरे देशों से आने वाले लोगों पर सख्त रुख रखने वाले अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का क्या अब नजरिया बदलने लगा है. रिपब्लिकन पार्टी के राष्ट्रपति पद के संभावित उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रम्प ने गुरुवार को एक कार्यक्रम में कहा कि कि अमेरिका के कॉलेजों से ग्रेजुएशन करने वाले छात्रों को वे ग्रीन कार्ड देंगे. यह उनके आव्रजन पर अब तक रुख से एकदम अलग था. 


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'क्या आप प्रतिभाशाली लोगों को अमेरिका बुलाने का अधिकार देंगे?'


सिलिकॉन वैली टेक इन्वेसटर्स की ओर से आयोजित पॉडकास्ट में एक निवेशक जेसन कैलाकैनिस ने उनसे सवाल पूछा. उन्होंने कहा कि अमेरिका को अधिक कुशल श्रमिकों को बनाए रखने में सक्षम होने की आवश्यकता है. ऐसे में क्या आप हमसे वादा कर सकते हैं कि आप हमें दुनिया भर से सबसे अच्छे और प्रतिभाशाली लोगों को अमेरिका में बुलाने के अधिक अधिकार देंगे. इस पर ट्रंप ने जवाब हां में दिया.


'अमेरिकी कॉलेज से ग्रेजुएट को मिलना चाहिए ग्रीन कार्ड'


ट्रंप ने पोडकास्ट में कहा, मैं आपकी बात से सहमत हूं, इसलिए मैं वादा करता हूं. अगर आप अमेरिकी कॉलेज से ग्रेजुएट हैं तो आपको इस देश में रहने और काम करने के लिए ग्रीन कार्ड अपने आप मिलना चाहिए. इसमें जूनियर कॉलेज भी शामिल हैं. "


हालांकि उनके बयान से यह स्पष्ट नहीं हो पाया कि क्या ट्रम्प का मतलब अमेरिका में अवैध रू से घुसे सभी विदेशियों से था. या फिर ऐसे लोग जो वीजा की अवधि समाप्त होने के बाद भी रुके थे या स्टूडेंट वीजा पर यूएस में आए छात्र थे. इस बयान पर विवाद होता देख ट्रंप के प्रचार में जुटे रणनीतिकारों ने सफाई दी. उन्होंने कहा कि सख्त जांच प्रक्रिया के बाद ही सबसे कुशल ग्रेजुएट, जो अमेरिका को आगे बढ़ाने में अहम योगदान दे सकते हैं, उन्हें ही ग्रीन कार्ड दिया जाएगा. 


एक्टिविस्टों ने ट्रंप के वादे पर जताया शक


राष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवारी जता रहे डोनाल्ड ट्रंप अब भले ही आप्रवासियों पर अपने कठोर रुख से पीछे हटते दिख रहे हों लेकिन मानवाधिकार कार्यकर्ता आश्वस्त नहीं हैं. अमेरिकन इमिग्रेशन काउंसिल के पॉलिसी डायरेक्टर आरोन रीचलिन-मेलनिक ने कहा, मुझे ट्रंप की बात सुनकर लगभग हंसी आ गई. उनके पूर्व राष्ट्रपति काल में प्रशासन ने छात्र वीजा को प्रतिबंधित करने और ग्रेजुएट होने के बाद उन्हें अमेरिका से भगाने के लिए कई कठोर नीतियां अपनाईं थीं.


रिपोर्ट के मुताबिक राष्ट्रपति के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, ट्रम्प ने अमेरिकी कंपनियों के लिए एच-1बी वीजा पर दूसरे देशों से कुशल श्रमिकों को नियुक्त करना कठिन बना दिया था. यही नहीं, COVID-19 महामारी के दौरान, उनकी सरकार ने यह नियम बनाने की कोशिश भी की थी कि अगर उनके स्कूल-कॉलेज अपनी कक्षाएं ऑनलाइन करते हैं तो वे यूएस छोड़कर चले जाएं. हालांकि बाद में मुकदमों और लोगों के विरोध की वजह से उन्होंने अपना मन बदल लिया.


क्या भारत के लिए फायदेमंद रहेंगे ट्रंप?


बता दें कि डोनाल्ड ट्रंप के हालिया बयान को भारत के लिहाज से फायदेमंद माना जा रहा है. उन्होंने पोडकास्ट में कहीं भी भारतीय छात्रों शब्द का प्रयोग नहीं किया लेकिन अगर वे राष्ट्रपति चुने जाने के बाद अपने वादे पर आगे बढ़ते हैं तो इसका सबसे ज्यादा फायदा भारतीय छात्रों को ही होना है. इसकी वजह ये है कि अमेरिकी कॉलेज में पढ़ाई कर रहे छात्रों की सबसे बड़ी तादाद भारतीयों की है और वे टेक्नीकल फील्ड में सबसे आगे हैं. अमेरिका के आईटी सेक्टर को वर्ल्ड लेवल का बनाने में उनका अहम योगदान रहा है. 


भारत और अमेरिका के बीच गहराते संबंध और इंडियन स्टूडेंट की काबलियत, ये दो ऐसी वजहें हैं. जो न चाहते हुए भी ग्रीन कार्ड के लिए पात्र लोगों में भारतीय छात्रों को सबसे आगे खड़ा कर देती हैं. ऐसे में माना जा रहा है है कि अगर ट्रंप दोबारा से अमेरिकी राष्ट्रपति की कुर्सी संभालते हैं तो अमेरिका में बसना भारतीय छात्रों के लिए आसान हो जाएगा.