ट्रंप या हैरिस, किसकी जीत से होगा भारत को फायदा; अमेरिकी चुनाव में `भारत` का कितना दबदबा?
अमेरिकी चुनाव अपने अंतिम चरणों में है, चुनाव से पहले चर्चा बनी हुई है कि भारत के लिए किस उम्मीदवार की जीत फायदेमंद होगी. क्योंकि अमेरिकी चुनाव का असर पूरी दुनिया पर पड़ता है. ऐसे में इस खबर में जानते हैं कि भारत के लिए कौन सा उम्मीदवार बेहतर है.
US President Election: अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव अपने आखिरी चरणों में है. इस चुनाव में दो पार्टियां रिपब्लिकन और डेमोक्रेट्स के बीच अहम मुकाबला है. रिपब्लिकन की तरफ से डोनाल्ड ट्रंप उम्मीदवार हैं, जबकि डेमोक्रेट्स की तरफ से कमला हैरिस मैदान पहली बार किस्मत आजमा रही हैं. हालांकि ट्रंप एक बार चुनाव जीत चुके हैं, जबकि पिछले चुनाव में उन्हें जो बाइडेन ने शिकस्त दी थी. अमेरिकी चुनाव पूरी दुनिया के लिए अहम होते हैं. भारत समेत पूरी दुनिया पर इन चुनावों के असर पड़ते हैं. तो चलिए जानते हैं इस बार के चुनावों का भारत पर क्या असर पड़ेगा.
दोनों के बीच रिश्ते अच्छे लेकिन...
अमेरिका के मौजूदा राष्ट्रपति जो बाइडेन के कार्यकाल में भारत और अमेरिका के रिश्ते काफी बेहतर हुए हैं. ना सिर्फ बाइडेन बल्कि इससे पहले डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका के साथ रिश्तों का बैलेंस बनाए रखा. एक्सपर्ट्स का कहना है कि चुनाव के बाद कोई भी अमेरिकी राष्ट्रपति बने उसके साथ भारत के रिश्ते अच्छे ही रहेंगे. हालांकि कुछ जगहों पर दोनों के साथ ही समस्याओं को सामना करना पड़ सकता है. जैसे भारत रूस के पक्ष में मजबूती के साथ खड़ा हुआ है. जबकि अमेरिकी प्रशासन ऐसा नहीं चाहता है. इसके अलावा अमेरिका और भारत समेत दुनिया के सामने सबसे बड़ा चुनौती चीन से है.
संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका भारत की जरूरत:
लंबे समय से भारत संयुक्त राष्ट्र के सुधार की कोशिशों में लगा हुआ है. भारत चाहता है कि उसको सही प्रतिनिधित्व मिले ताकि उसकी बातें ठीक से सुनी जा सकें और तभी मुमकिन है जब अमेरिकी इसके लिए तैयार हो. एक्सपर्ट्स का कहना है कि व्यापार हो या राजनयिक मामले, पर्यावरण का मामला हो या वो जलवायु परिवर्तन समेत अंतकवाद जैसे मुद्दों पर अमेरिका की तरफ से जो फैसले लिए जाते हैं उनका दुनियाभर पर असर पड़ता है.
ट्रंप प्रशासन यहां बनेगा खतरा:
ट्रंप के राष्ट्रपति बनने पर नजर डालें तो बीबीसी ने एक रिपोर्ट में कहा कि ट्रंप की व्यापार नीति भारत के लिए खतरा बन सकती है, क्योंकि ट्रंप की व्यापार नीति में संरक्षणवाद इतना हावी है कि इससे भारत के लिए अपनी अपेक्षाओं को पूरा करना मुश्किल हो सकता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत को तरक्की करनी है तो अब उसे दूसरे देशों में अपना माल बेचना होगा और भारत के इस रास्ते में ट्रंप प्रशासन रोड़ा बन सकता है.
देसी राष्ट्रपति कमला हैरिस:
भारतीय अमेरिकी कांग्रेसी कृष्णमूर्ति ने भी इस संबंध में कई अहम बातें कही हैं. उन्होंने कहा कि पहली "देसी राष्ट्रपति" के रूप में हैरिस अपनी मां के माध्यम से भारत से अपने संबंधों के कारण इन संबंधों को और मजबूत करेंगी. एएनआई से एक्सक्लूसिव बातचीत करते हुए कृष्णमूर्ति ने कहा, 'यह बेहद करीबी चुनाव होने जा रहा है. मुझे लगता है कि वह अंततः जीत हासिल करने जा रही हैं लेकिन जैसा कि आप जानते हैं, हम चुनाव की रात छह या सात राज्यों को बहुत बारीकी से देखने जा रहे हैं. उनमें से कुछ परिणाम चुनाव की रात को पूरी तरह से सामने नहीं आ सकते हैं. हमें वोटों की गिनती के दौरान भी धैर्य रखना होगा.'
अमेरिका में भारतीय को दबदबा:
उन्होंने भारत और अमेरिका के रिश्तों को लेकर कहा,'चाहे राष्ट्रपति के रूप में कोई भी चुना जाए, भारत के साथ संबंध मजबूत हो रहे हैं. भारत और अमेरिकी रिश्ते कई मुद्दों को कवर कर रहे हैं और गहरे होते जा रहे हैं. यह समय के साथ और अधिक ऊंचाइयों पर जाएंगे. कमला हैरिस, संयुक्त राज्य अमेरिका की पहली 'देसी' राष्ट्रपति के रूप में, उन संबंधों को मजबूत करने में मदद करेंगी.' भारतीय अमेरिकी अब संयुक्त राज्य अमेरिका में दूसरी सबसे बड़ी आप्रवासी आबादी बनाते हैं. ये आप्रवासी अब मुख्य रूप से कैलिफोर्निया और न्यूयॉर्क जैसे पारंपरिक दक्षिण एशियाई गढ़ों में नहीं उतर रहे हैं, बल्कि टेक्सास और जॉर्जिया जैसे राज्यों को भी नया रूप दे रहे हैं.
दोनों उम्मदवारों को भारतीयों की जरूरत:
कृष्णमूर्ति ने आगे कहा कि भारतीय अमेरिकी वोटर्स राष्ट्रपति चुनावों में अहम किरदार अदा करेंगे और इस बात पर जोर दिया कि 'विचारों में विविधता' होने के बावजूद समुदाय के लोग कुछ चीजों में एक जैसा विश्वास रखते हैं, जो उन्हें एक समुदाय के रूप में एकजुट करती हैं. उन्होंने कहा, 'मुझे अभी भी लगता है कि भारतीय अमेरिकी कुछ ऐसी चीजों में विश्वास करते हैं जो हमें एक समुदाय के रूप में एकजुट करती हैं. उन्हें अपने निर्वाचित अधिकारियों को उस तरह के एकीकृत एजेंडे को पूरा करने के लिए जवाबदेह ठहराना चाहिए.'