Kabul पर कब्जे के वक्त टूट गए थे Amrullah Saleh, गार्ड से बोले- मेरे सिर में गोली मार देना
काबुल पर तालिबान के कब्जे के वक्त क्या-क्या हुआ था? अमरुल्लाह सालेह ने यूके के एक अखबार को पत्र लिखकर पूरी कहानी बयां की है. उन्होंने बताया कि किस तरह उन्हें डर के कारण अपनी पत्नी और बेटियों की तस्वीरें तक जलानी पड़ गई थीं.
काबुल: अफगानिस्तान (Afghanistan) पर कब्जा करने के बाद तालिबान (Taliban) की नजर पंजशीर (Panjshir) पर जा टीकी है. तालिबानी लड़ाके हर हाल में पंजशीर पर कब्जा कर वहां अपना झंडा फहराना चाहते हैं. इसके लिए तैयारियां भी तेज हो गई हैं. लेकिन इस बीच खुद को अफगानिस्तान का कार्यकारी राष्ट्रपति घोषित कर चुके अमरुल्लाह सालेह (Amrullah Saleh) ने काबुल पर तालिबानी कब्जे से पहले की कहानी बयां की है.
गार्ड से बोले- 'मुझे गोली मार देना'
48 वर्षीय सालेह ने बताया कि कैसे उन्होंने तालिबान के कब्जे के बाद अपनी पत्नी और बेटी की तस्वीर को जला दिया, और अपने बॉडीगार्ड से कहा था कि अगर मैं घायल हो जाऊं तो मुझे गोली मार देना. सालेह ने बताया, 'काबुल पर कब्जे से एक रात पहले जेल के अंदर विद्रोह हुआ था. उस वक्त मैंने गैर-तालिबान कैदियों से संपर्क करने की भी कोशिश की, लेकिन संपर्क नहीं हो पाया. अगले दिन मैं सुबह 8 बजे उठ गया और सबसे पहले रक्षा मंत्री, आंतरिक मंत्री और उनके डिप्टी से संपर्क करना चाहा, लेकिन किसी से भी बात नहीं हो पाई. तभी काबुल के पुलिस कमिश्नर ने उन्हें सूचित किया कि वह एक घंटे तक मोर्चा संभाल सकते हैं.'
'फिर मैंने अहमद मसूद से मदद मांगी'
सालेह बताते हैं, 'मैं अगले एक घंटे तक अफगान सैनिकों की खोज भी घूमता रहा, लेकिन कोई नजर नहीं आया. हताश होकर मैंने अपने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार को यह कहने के लिए मैसेज किया कि हमें कुछ करना है. लेकिन वहां से भी मुझे कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली. 15 अगस्त की सुबह 9 बजे तक काबुल घबरा रहा था. जैसे ही तालिबान ने काबुल पर अपनी पकड़ मजबूत की मैंने अहमद मसूद (Ahmed Masood) को संदेश भेजा. फिर मैं अपने घर पहुंचा और अपनी पत्नी और बेटियों की तस्वीरें नष्ट कर दीं. मैंने अपना कंप्यूटर और कुछ सामान इकट्ठा किया, और फिर अपने बॉडीगार्ड से कहा कि अगर मैं घायल हो जाऊं तो मेरे सिर में दो बार गोली मार देना. मैं तालिबान के सामने सरेंडर नहीं करना चाहता.'
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VIDEO-'मेरे पास भागने का ऑफर था लेकिन..'
सालेह ने डेली मेल को लिखे एक पत्र में आगे बताया कि काबुल पर तालिबान का कब्जा होने के बाद उन्हें अफगानिस्तान से निकल जाने का ऑफर मिला था. लेकिन उन्होंने दूसरे राजनेताओं की तरह ऐसा नहीं किया. उन्होंने लिखा कि यहां से जाने वाले राजनेता महंगे होटले में ठहरते हैं, और वहीं से ट्विटर और फेसबुक पर पोस्ट लिखकर अफगानियों के लिए लड़ने की बात कहते हैं. आपको बताते चलें कि इस वक्त सालेह पंजशीर में हैं और घाटी में तालिबान के खिलाफ प्रतिरोध मोर्चा का नेतृत्व कर रहे हैं. उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी के देश छोड़कर भागने पर भी निशाना साधा और कहा कि जो राजनेता संकट के पल में अपना देश छोड़ते हैं, वे इसकी मिट्टी को धोखा देते हैं.
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ISI कर रहा पंजशीर पर कब्जे के दावे
फिलहाल पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई (ISI) ने सोशल मीडिया पर पंजशीर के खिलाफ जंग छेड़ रखी है. पाकिस्तान से चलाए जा रहे अनेकों ट्विटर हैंडल पर ये दावा किया जा रहा है कि पंजशीर को कब्जे में ले लिया गया है. रविवार को भी अफगानिस्तान में हक्कानी नेटवर्क और आईएसआई द्वारा चलाए जा रहे फेसबुक अकाउंट्स पर इसी तरह के दावे किए गए. लेकिन पंजशीर के शेरों ने इन दावों को अपने सोशल मीडिया हैंडल से पोस्ट करते हुए खारिज कर दिया है. उनका कहना है कि अभी तक तालिबान पंजशीर पर कब्जा नहीं कर पाया है.
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