काहिरा: मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सिसी ने एक आतंकवाद-रोधी कानून को मंजूरी दी है, जिसका एक प्रावधान उन पत्रकारों पर जुर्माना लगाने की बात कहता है, जो किसी आतंकी हमले के संदर्भ में अधिकारियों द्वारा दिए गए बयान के विपरीत बात लिखते हैं। राष्ट्रपति के प्रवक्ता अल्ला यूसफ ने कहा कि राष्ट्रपति ने कल शाम एक आतंकवाद रोधी विधेयक पर हस्ताक्षर करके उसे कानून की शक्ल दे दी। इसके बारे में विस्तृत जानकारी आज के आधिकारिक गजट में प्रकाशित होगी।


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मिस्र की समाचार एजेंसी मेना की खबर के अनुसार, इस कानून में ‘आधिकारिक बयानों से विपरीत कोई झूठी जानकारी प्रकाशित करने के लिए’ कम से कम दो साल की कैद की धमकी देने वाला एक अनुच्छेद शामिल कर लिए जाने के बाद से मिस्र के मीडिया में रोष पैदा हो गया है। इस कानून का मसविदा जुलाई की शुरूआत में मंत्रिमंडल द्वारा तैयार किया गया था।


कार बम हमले में शीर्ष सरकारी वकील के मारे जाने पर सिसी ने जुलाई में एक कड़ी कानून व्यवस्था का वादा किया था। सरकारी वकील कुछ वषरें में मारे गए उच्चतम स्तर के सरकारी अधिकारी थे।


जनवरी 2011 की क्रांति के बाद से मिस्र में आतंकियों द्वारा कई हिंसक हमले किए गए हैं। इस क्रांति में पूर्व राष्ट्रपति हुस्नी मुबारक को सत्ता से हटा दिया गया था। इस्लामवादी पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद मुर्सी को वर्ष 2013 में सेना द्वारा सत्ता से हटाए जाने के बाद पुलिस और सेना को निशाना बनाकर किए जाने वाले हमलों की संख्या बढ़ गई थी। सेना द्वारा मुर्सी को हटाए जाने से पहले उसके शासन के खिलाफ भारी विरोध प्रदर्शन हुए थे। उसके बाद से अब तक 600 से ज्यादा सुरक्षाकर्मियों के मारे जाने की खबर है। उत्तर सिनाई उन बड़े इलाकों में से एक है, जो आतंकियों के बड़े हमलों का शिकार बने हैं। सेना ने क्षेत्र में सुरक्षा अभियान शुरू किए हैं, संदिग्धों को गिरफ्तार किया है और आतंकियों के मकानों को नष्ट किया है। इनमें ऐसे मकान भी थे जिनमें गाजा पट्टी तक जाने वाली सुरंगें भी बनी थीं।