एलन मस्क ने गुरुवार को सोशल मीडिया एक्स पर एक पोस्ट को शेयर किया है. जिसमें दिखाया गया है कि अमेरिका में भारतीय लोग जमकर डॉलर कमा रहे हैं. भारत के लोग श्वेत लोगों से अधिक पैसा कमा रहे हैं, जानें पाकिस्तान और चीन की क्या है असली औकात.


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भारतीयों की घरेलू आय 119,858 डॉलर 
एलन मस्क ने जो डेटा शेयर किया है, उसके आधार पर 2018 की एक रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका में श्वेत अमेरिकियों की हालात पैसा कमाने में बहुत ही खराब है, भारतीय जमकर पैसा कमा रहे हैं, उनकी  औसत घरेलू आय 119,858 डॉलर है, जिसके बाद ताइवान और चीनी प्रवासियों का नंबर है, श्वेत अमेरिकियों  का नंबर बहुत नीचे है.


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एलन मस्‍क का ट्वीट



इस डेटा में अमेरिका में रहने वाले विभिन्न जातीय समूहों की औसत घरेलू आय दिखाई गई है. यह इन्फोग्राफिक केवल एशियाई अप्रवासी समूहों पर ध्यान केंद्रित करने वाले अमेरिकी जनगणना ब्यूरो के डेटा पर आधारित है, जिसमें दिखाया गया है कि भारतीय अमेरिकियों की औसत वार्षिक घरेलू आय $119,858 है, जो सबसे अधिक है,  इसके बाद ताइवानी अमेरिकी, चीनी और जापानी अमेरिकी आते हैं. 


पाकिस्तानियों की अमेरिका में क्या है औकात
डेटा में दिखाया गया है कि पाकिस्तानी अमेरिकियों की औसत घरेलू आय $77,315 है, जो लिस्ट में पांचवें स्थान पर है. इस डेटा में फिलिपिनो, कोरियाई, कम्बोडियन, हमोंग और वियतनामी अमेरिकियों की औसत घरेलू आय भी शामिल है. इस डेटा में सबसे गौर करने वाली बात है कि अमेरिका में श्वेत अमेरिकन ही सबसे कम कमा रहे हैं, जो बाहर देश से अमेरिका में आया है, वह जमकर पैसा बना रहा है. श्वेत अमेरिकन लोगों की औसत घरेलू आय सिर्फ $65,902 कमा रहे हैं. 


'अमेरिका वास्तव में अवसरों की भूमि'
तभी तो टेस्ला के प्रमुख एलन मस्क ने 18 जुलाई को देश में जातीय अल्पसंख्यकों की औसत घरेलू आय पर 2018 की अमेरिकी जनगणना रिपोर्ट को फिर से पोस्ट किया और कहा कि "अमेरिका वास्तव में अवसरों की भूमि है".


एलन मस्क को कैसे दिखा ये डेटा
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स यूजर 'द रैबिट होल' ने एक पोस्ट शेयर किया था, जिसमें लिखा था कि संयुक्त राज्य अमेरिका में कुछ सबसे सफल लोग अल्पसंख्यक समूहों से हैं. जिसके बाद एलन मस्क ने इस पोस्‍ट पर जवाब देते हुए लिखा था कि अमेरिका वास्तव में अवसरों की भूमि है.



अमेरिका में पचास लाख लोग भारतीय
द डिप्लोमैट की एक रिपोर्ट के अनुसार संयुक्त राज्य अमेरिका में भारतीय मूल के करीब पांच मिलियन लोग रहते हैं, उनमें से कई पहली या दूसरी पीढ़ी के अप्रवासी हैं. उनमें से कई महत्वपूर्ण पदों पर भी हैं, जैसे कि उपराष्ट्रपति कमला हैरिस, गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई और माइक्रोसॉफ्ट के प्रमुख सत्य नडेला शामिल हैं.